ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का वेलबीइंग रिसर्च सेंटर, संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डेवलपमेंट सौल्युशंस नेटवर्क और गैलप के सहयोग से हरेक वर्ष वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट प्रकाशित करता है और हाल में ही प्रकाशित इसके 2025 के संस्करण में मोदी जी का विश्वगुरु विकसित भारत कुल 147 देशों में 118वें स्थान पर है। वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स पिछले तेरह वर्षों से प्रकाशित किया जा रहा है और भारत इस सूची में लगातार सबसे पिछले देशों के साथ ही खड़ा रहता है। भारत का पिछड़ना इस लिए भी आश्चर्य का विषय है क्योंकि यहाँ प्रचंड बहुमत वाली ऐसी सरकार है जो लगातार जनता की हरेक समस्या सुलझाने का दावा करती रही है। सत्ता के अनुसार उसने पानी, फ्री अनाज, बिजली, कुकिंग गैस और इसी तरह की बुनियादी सुविधाएं हरेक घर में पहुंचा दी है, पर इंडेक्स तो यही बताता है कि दुनिया के सबसे दुखी देशों में हम शामिल हैं। इस इंडेक्स में तो हम पाकिस्तान और लगातार अशांत रहे नेपाल से भी पीछे हैं।
Published: undefined
इस इंडेक्स में हमेशा की तरह यूरोप के नोर्डिक देश सबसे आगे हैं। सबसे खुश देशों में लगातार आठवीं बार फिनलैंड प्रथम स्थान पर है, इसके बाद डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, नीदरलैंड, कोस्टा रिका, नॉर्वे, इजराइल, लक्सेम्बर्ग और मेक्सिको हैं। पहले 10 देशों में केवल ऑस्ट्रेलिया और इजराइल ही नार्डिक देशों में शामिल नहीं हैं। इंडेक्स में सबसे नीचे के स्थान पर, यानि 147वें स्थान पर, अफ़ग़ानिस्तान है, इससे पहले क्रम से सिएरा लियॉन, लेबनान, मलावी और ज़िम्बाब्वे हैं। भारत के पड़ोसी देशों में सबसे अच्छे स्थान पर चीन है, यह इंडेक्स में 68वें स्थान पर है। नेपाल, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका और बांग्लादेश इस इंडेक्स में क्रमशः 92, 109, 126, 133 और 134वें स्थान पर हैं।
Published: undefined
इस इंडेक्स में अमेरिका और जर्मनी जैसे देश शुरुआती 20 देशों की सूची के बाहर हैं, जबकि मेक्सिको और कोस्टा रिका जैसे देश पहली बार शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था में शामिल देशों में ऑस्ट्रेलिया 11वें, कनाडा 18वें, संयुक्त अरब अमीरात 21वें, जर्मनी 22वें, यूनाइटेड किंगडम 23वें, अमेरिका 24वें, सऊदी अरब 32वें, फ्रांस 23वें, जापान 55वें, दक्षिण कोरिया 58वें, रूस 66वें, और दक्षिण अफ्रीका 95वें स्थान पर है। अपने नागरिकों को मौलिक अधिकारों से वंचित रखने वाले, गृहयुद्ध की विभीषिका झेलते और लम्बे आन्दोलनों के झेलते देश के नागरिक भी हमसे अधिक खुश हैं। वर्ष 2006 से 2010 की तुलना में वर्ष 2024 के इंडेक्स में जिन देशों की खुशी सबसे कम हो गयी थी, उनमें मोदी जी के गारंटी और संकल्प का विकसित भारत भी शुमार है। सामाजिक असमानता में भारत 118वें स्थान पर, सामाजिक सपोर्ट में 128वें स्थान पर और नेगटिव ईमोशन्स में हम 117वें स्थान पर हैं।
Published: undefined
हैप्पीनेस इंडेक्स के लिए खुशी का आकलन देशों के प्रति व्यक्ति जीडीपी. स्वास्थ्य अनुमानित आयु, लोगों से बातचीत, सामाजिक तानाबाना, अपने निर्णयों की आजादी, समाज में भ्रष्टाचार जैसे मानदंडों से किया जाता है। हैप्पीनेस इंडेक्स में देशों के क्रम से स्पष्ट है की जीवंत लोकतंत्र वाले देशों के नागरिक सबसे अधिक खुश हैं, पर हमारे देश में तो लोकतंत्र का जनाजा निकल चुका है। दरअसल वर्ष 2014 के बाद से देश में लोकतंत्र की परिभाषा ही बदल दी गई है। सत्ताधारी और उनके समर्थक कुछ भी करने को आजाद हैं – वे अफवाह फैला सकते हैं, हिंसा फैला सकते हैं, ह्त्या कर सकते हैं और दंगें भी करा सकते हैं। दूसरी तरफ, सरकारी नीतियों का विरोध करने वाले चुटकियों में देशद्रोही ठहराए जा सकते हैं, जेल में बंद किए जा सकते हैं या फिर मारे जा सकते हैं। मीडिया, संवैधानिक संस्थाएं और अधिकतर न्यायालय सरकार के विरोध की हर आवाज को कुचलने में व्यस्त हैं। लोकतंत्र की सीढ़ियों पर फिसलने की भारत की आदत पड़ चुकी है, फ्रीडमहाउस के इंडेक्स में भी हमारा देश स्वतंत्र देशों की सूचि से बाहर हो चुका है और आंशिक स्वतंत्र देशों के साथ शामिल हो चुका है। भारत दुनिया का अकेला तथाकथित लोकतंत्र है, जहां अपराधी, आतंकवादी, प्रशासन, सरकार, मीडिया और पुलिस का चेहरा एक ही हो गया है। अब किसी के चेहरे पर नकाब नहीं है और यह पता करना कठिन है कि इनमें से सबसे दुर्दांत या खतरनाक कौन है।
इस इंडेक्स से इतना तो स्पष्ट है की हमारे देश के लोग सरकार पर भले ही भरोसा करते हों पर संतुष्ट नहीं हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान जिस तरह से किसानों की समस्याएं, बेरोजगारी, महिलाओं की सुरक्षा, नौकरी से छटनी, अभिव्यक्ति की आजादी, अल्पसंख्यकों का दमन, सामाजिक ध्रुवीकरण, आपसी वैमनस्व और असहिष्णुता जैसी समस्याएं विकराल स्वरूप में उभरीं हैं उसने पूरे समाज को प्रभावित किया है और समस्याओं से घिरा समाज कभी खुश नहीं रह सकता।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined