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सितंबर के दूसरे हफ्ते हो सकता है संसद का मानसून सत्र, 22 तारीख से पहले हर हाल में बैठक कराना अनिवार्य

संविधान के अनुसार संसद के दो सत्रों के बीच छह माह से अधिक का अंतर नहीं होने के नियम के तहत 22 सितंबर से पहले संसद सत्र आयोजित करने की अनिवार्यता को देखते हुए जल्द ही मानसून सत्र का ऐलान होने की उम्मीद है। दरअसल अंतिम बजट सत्र 23 मार्च को समाप्त हो गया था।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

संसद का मानसून सत्र सितंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू होने की संभावना बन रही है, क्योंकि संसद का सत्र 22 सितंबर या उससे पहले आयोजित करना जरूरी है। हालांकि, केंद्र सरकार से सत्र को लेकर अब तक कोई लिखित सूचना नहीं मिलने के कारण, दोनों संसदीय सचिवालय के अधिकारी अब तक मानसून सत्र के शुरू होने की तारीख के बारे में सुनिश्चित नहीं हैं।

हालांकि कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को उम्मीद है कि 22 सितंबर से पहले संसद सत्र आयोजित करने की अनिवार्यता को देखते हुए जल्द ही मानसून सत्र की तारीखों पर फैसला हो जाएगा। दरअसल अंतिम बजट सत्र 23 मार्च को समाप्त हो गया था और इसलिए भारत के संविधान के आदेशपत्र के अनुसार, संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम छह महीने का ही अंतर हो सकता है, जो 22 सितंबर को समाप्त होता है।

संसद में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने का अनुरोध करते हुए बताया कि मानसून सत्र की तारीख तय करने के लिए संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीपीए) इस सप्ताह बैठक करेगी। सरकार सीसीपीए बैठक में अपने कामकाज के विवरण को भी साझा करेगी, जो पिछले सप्ताह होने वाली थी, लेकिन कुछ कारणों और अन्य अधिकारियों की व्यस्तताओं के कारण नहीं हो सकी थी। अधिकारी ने कहा कि संसद के सत्र का संचालन करने के लिए केंद्र सरकार से अब तक 'कोई लिखित सूचना' नहीं मिली है।

लोकसभा सचिवालय मामले के जानकार एक अन्य अधिकारी ने बताया, "यह ज्ञात है कि मानसून सत्र 23 सितंबर से पहले किसी भी समय शुरू हो जाएगा। चूंकि बैठने की व्यवस्था के संबंध में लोकसभा में तैयारी अभी भी लंबित है, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि सरकार सितंबर के दूसरे सप्ताह में मानसून सत्र की तारीख घोषित कर सकती है।"

वहीं वर्तमान संसद के कई सदस्यों ने भी यह कहा है कि उन्हें कुछ जानकारियां मिली हैं कि सत्र सितंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू हो सकता है। सत्र की घोषणा और शुरू होने के बीच आमतौर पर 14 दिनों का अंतर होता है। हालांकि, सांसद अभी तक इस बात को लेकर स्पष्ट नहीं हैं कि दोनों सदनों की कार्यवाही रोजाना होगी या नहीं।

लोकसभा की कार्यवाही अलग-अलग चैंबर में आयोजित करने की व्यवस्था अभी भी अध्यक्ष ओम बिड़ला और लोकसभा सचिवालय के पास विचाराधीन है और अभी तक उस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है। रविवार को राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मानसून सत्र के लिए अगस्त के तीसरे सप्ताह तक पूरी तैयारी करने का निर्देश दिया था और लोकसभा के भी अगले सप्ताह तक इसी तरह के निर्देश जारी करने की उम्मीद है।

सूत्रों ने कहा कि कई बैठकों के बाद सांसदों को बैठाने को लेकर जो सहमति बनी उसके मुताबकि राज्यसभा चैंबर और दीर्घाओं और लोकसभा चैंबर का इस्तेमाल उच्च सदन के सदस्यों को बैठाने के लिए किया जाएगा। सभी मंत्रियों सहित 60 सदस्यों को राज्यसभा चैंबर में, 51 को दीर्घाओं (पहली पंक्ति को छोड़कर) और शेष 132 को लोकसभा चैंबर में बैठाया जाएगा। लोकसभा अधिकारी अपने 542 सदस्यों को बैठाने के लिए संसद भवन के सेंट्रल हॉल और बालयोगी सभागार का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सेंट्रल हॉल का इस्तेमाल दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए किया जाता है और सांसद अपने-अपने सदन में ब्रेक के दौरान वहां बैठते हैं। लगभग 800 लोगों की बैठने की क्षमता के साथ, सेंट्रल हॉल 'फिजिकल डिस्टेंसिंग' (शारीरिक दूरी) के मानदंडों को सुनिश्चित करते हुए लोकसभा के सदस्यों को समायोजित कर सकता है।

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