जम्मू और कश्मीर के 500 से अधिक सरकारी कर्मचारी राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोपों की जांच के दायरे में हैं और संलिप्त पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त करने की तैयारी है। केंद्र शासित प्रदेश के शासन ने ऐसी गतिविधियों में शामिल सरकारी कर्मचारियों/अधिकारियों को नौकरी से निकालने की अनुशंसा करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया।
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इस उच्चस्तरीय समिति की अध्यक्षता जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव कर रहे हैं, जिसमें सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव, गृह एवं कानून विभाग के सचिव, डीजीपी और एडीजीपी (सीआईडी) शामिल हैं। जम्मू और कश्मीर सासन के आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि करीब 500 कर्मचारी/अधिकारी जांच के दायरे में हैं और समिति द्वारा उनके पिछले रिकॉर्ड खंगालने के बाद सिफारिश करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
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इस समिति का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311 (2 ) (सी) को लागू करने के तत्काल बाद किया गया, जोकि कुछ पूर्व निर्धारित आधार पर केंद्रशासित प्रदेशों और राज्यों को सिविल क्षमता में कार्य कर रहे कर्मचारी को हटाने, निलंबित करने या पदावनति करने का अधिकार देता है। यह अनुच्छेद उन पर भी बिना जांच कार्रवाई का अधिकार देता है, जो राष्ट्रविरोधी गतिविधि में सलिप्त पाए जाते हैं।
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सरकार अगर इस बात से संतुष्ट होती है कि किसी अधिकारी को हटाने की कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में है तो वह वह ऐसा कदम उठा सकती है। यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर में अुनच्छेद 370 लागू रहने की वजह से अब तक प्रभावी नहीं था। लेकिन पिछले साल 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 और 35ए को हटा दिया गया था, जिसके बाद से यह कानून भी वहां प्रभावी हो गया, जिसके तहत, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को भी देश-विरोधी गतिविधि में संलिप्त पाए जाने पर किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से छूट नहीं मिलेगी।
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