कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने छिंदवाड़ा में 14 बच्चों की कफ सिरप पीने के बाद गुर्दे फेल होने से हुई मौत के मामले पर सोमवार को बीजेपी सरकार को घेरते हुए स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल को हटाने की मांग की। इन मौतों का कारण ‘जहरीला’ कफ सिरप बताया जाता है। मृत बच्चों के परिवारों के प्रति एकजुटता व्यक्त करने परासिया कस्बा पहुंचे जीतू पटवारी ने मीडिया से कहा कि केवल एक डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करना पर्याप्त नहीं है।
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मध्य प्रदेश सरकार ने ‘कोल्ड्रिफ’ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। अधिकारियों के अनुसार, दवा के नमूनों में अत्यधिक जहरीला पदार्थ पाया गया है। जिन 14 बच्चों की मौत हुई है, उनमें से 11 परासिया उपमंडल के, दो छिंदवाड़ा शहर के और एक चौरई तहसील का था।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि बैतूल जिले में भी दो बच्चों की कथित तौर पर कोल्ड्रिफ कफ सिरप पीने से मौत हुई है। उन्होंने बताया कि छिंदवाड़ा के डॉ. प्रवीण सोनी को बच्चों की मौत के मामले में लापरवाही के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जबकि कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
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पटवारी ने दावा किया कि जहरीले कफ सिरप से 16 मौतें हुईं, जबकि आधिकारिक आंकड़ा छिंदवाड़ा जिले में 14 है। कांग्रेस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव सोमवार को परासिया का दौरा करने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर मुख्यमंत्री सचमुच पीड़ितों के परिजनों के प्रति सहानुभूति रखना चाहते हैं, तो उन्हें छिंदवाड़ा जिले में आने से पहले स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त कर देना चाहिए।’’
पटवारी ने मांग की कि मुख्यमंत्री को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री, औषधि नियंत्रक, प्रमुख सचिव और स्वास्थ्य विभाग के आयुक्त को बर्खास्त करने का आदेश देना चाहिए, न कि केवल एक डॉक्टर को। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया, ‘‘यह दिखावा है और मंत्री को बचाने की कोशिश है।’’
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दरअसल घटना के बाद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने पहले कहा था कि कफ सिरप में ऐसी कोई हानिकारक सामग्री नहीं है, लेकिन उन्होंने दावा किया कि तमिलनाडु से आई एक रिपोर्ट में इसकी स्पष्ट रूप से पुष्टि हुई है। मध्य प्रदेश पुलिस ने बच्चों की मौत की जाँच के लिए एक विशेष जाँच दल (एसआईटी) का गठन किया है।
तमिलनाडु औषधि नियंत्रण अधिकारियों ने दो अक्टूबर की अपनी रिपोर्ट में, श्रीसन फार्मास्युटिकल्स, कांचीपुरम द्वारा निर्मित कोल्ड्रिफ सिरप के नमूने (बैच संख्या एसआर-13; विनिर्माण: मई 2025; समाप्ति: अप्रैल 2027) को मिलावटी घोषित किया क्योंकि इसमें डायथिलीन ग्लाइकॉल (48.6 प्रतिशत डब्ल्यू/वी) था, जो एक ज़हरीला पदार्थ है और यह इसकी सामग्री को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बना सकता है।
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रिपोर्ट के बाद, मध्य प्रदेश खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने राज्य भर में कोल्ड्रिफ की बिक्री और वितरण पर रोक लगाने तथा औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के तहत जांच के लिए उपलब्ध भंडार को तुरंत जब्त करने के निर्देश जारी किए। इसने यह भी आदेश दिया कि श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित अन्य उत्पादों को जांच लंबित रहने तक बिक्री सूची से हटा दिया जाए। मध्य प्रदेश में संदिग्ध गुर्दा संक्रमण के कारण हुई मौतों और राजस्थान में कम से कम तीन ऐसी ही मौतों की खबरों के बाद तमिलनाडु सरकार ने तीन अक्टूबर को कोल्ड्रिफ पर प्रतिबंध लगा दिया।
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