मुंबई में मुकेश अंबानी के निवास एंटीलिया के बाहर 20 जिलेटिन की छड़ों से भरी एक एसयूवी कार मामले से जुड़े ताजा घटनाक्रम में तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने एक मोबाइल हैंडसेट और सिम कार्ड जब्त किया है, जिस पर 'जैश-उल-हिंद' के नाम से एक टेलीग्राम अकाउंट बनाया गया था। दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। दिल्ली पुलिस के विशेष सेल ने एक बयान में कहा, "विशेष सेल द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर तिहाड़ जेल अधिकारियों ने जेल से एक मोबाइल फोन जब्त किया है, जहां आतंकी गतिविधियों में लिप्त कुछ दोषियों को रखा गया है। यह संदेह है कि इस फोन का इस्तेमाल टेलीग्राम चैनलों के संचालन के लिए किया गया है। हाल ही में इन टेलीग्राम चैनलों का इस्तेमाल आतंकी कार्रवाइयों की जिम्मेदारी लेने या धमकी देने के लिए किया गया।"
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बयान में यह भी कहा गया है कि "तिहाड़ जेल अधिकारियों से जब्ती का विवरण और मोबाइल हैंडसेट प्राप्त होने के बाद आगे की जांच और फॉरेंसिक विश्लेषण किया जाएगा।"
मोबाइल हैंडसेट कथित तौर पर इंडियन मुजाहिद्दीन ऑपरेटिव तहसीन अख्तर के बैरक से बरामद किया गया था।
गुरुवार शाम को जेल अधिकारियों ने उप-जेल नंबर 8 के अंदर एक तलाशी अभियान चलाया और एक मोबाइल हैंडसेट तथा सिम कार्ड बरामद किया, जिस पर 'जैश-उल-हिंद' के नाम से एक टेलीग्राम अकाउंट बनाया गया था। यह तलाशी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा उपलब्ध कराए गए इनपुट के आधार पर की गई थी।
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इससे पहले दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने उस डिवाइस का आईपी एड्रेस ट्रैक किया था, जिस पर जैश-उल-हिंद जेल परिसर से टेलीग्राम चैनल चला रहा था। इसके बाद दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने तिहाड़ जेल में कई कैदियों से पूछताछ की।
गौरतलब है कि 25 फरवरी को मुंबई में अंबानी के निवास एंटीलिया के बाहर 20 जिलेटिन की छड़ों से भरी एक एसयूवी पाई गई थी। अगले दिन जिस ग्रुप ने इसकी जिम्मेदारी लेने का दावा किया, उसकी पहचान 'जैश-उल-हिंद' के रूप में हुई।
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इससे पहले मुंबई पुलिस ने कहा था कि जैश-उल-हिंद ग्रुप ने (घटना की जिम्मेदारी) दावा दस्तावेज पत्र बनाने के लिए टोर प्रॉक्सी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था और टेलीग्राम के माध्यम से इसे विभिन्न सोशल मीडिया समूहों को भेजा गया था।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, टेलीग्राम चैनल 26 फरवरी को बनाया गया था और अंबानी निवास के बाहर वाहन रखने की जिम्मेदारी देने वाले संदेश को 27 फरवरी की देर रात को टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप पर पोस्ट किया गया था।
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संदेश के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में रकम मांगी गई थी और रकम जमा करने के लिए एक लिंक का उल्लेख किया गया था। जैश-उल-हिंद वही समूह है जिसने दिल्ली में भी इजरायली दूतावास के बाहर कम तीव्रता वाले विस्फोट का दावा किया था।
बहरहाल, दिल्ली पुलिस को संदेह है कि जैश-उल-हिंद एक वर्जुअल ग्रुप हो सकता है क्योंकि किसी भी व्यक्ति ने अपने किसी भी सदस्य का उल्लेख नहीं किया है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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