
मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर बीते दिनों एक स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बनाने वाले रोहित आर्य की पुलिस की गोली से मौत को फर्जी मुठभेड़ में हत्या करार देते हुए सीबीआई जांच की मांग की गई है। आर्या ने मुंबई के एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बना लिया था।
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याचिकाकर्ता शोभा बुद्धिवंत ने दावा किया कि पुलिस ने एक नेता के इशारे पर आत्मरक्षा और प्रतिरोध के नाम पर आर्य की हत्या कर दी। अधिवक्ता नितिन सतपुते के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि आर्य राज्य सरकार द्वारा उसका लंबित बकाया भुगतान न करने के कारण मानसिक तनाव से जूझ रहा था।
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याचिका में उच्च न्यायालय से मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आग्रह किया गया है। आर्य द्वारा पहले पुलिस टीम पर अपनी एयर गन से गोली चलाने के पुलिस के दावे पर सवाल उठाते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि पुलिस आर्य को कमर के नीचे भी गोली मार सकती थी।
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आर्य ने 30 अक्टूबर को मुंबई के एक रिकॉर्डिंग स्टूडियो में 17 बच्चों और दो वयस्कों को बंधक बना लिया था। बचाव अभियान के दौरान उसे गोली मार दी गई। पुलिस कार्रवाई के दौरान आर्य को गोली लग गई। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मामले की जांच एक मजिस्ट्रेट और मुंबई पुलिस की अपराध शाखा द्वारा की जा रही है।
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