दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को जेल में बंद मुंबई आतंकी हमलों के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अपने परिवार के सदस्यों से फोन पर बात करने की अनुमति दे दी। विशेष न्यायाधीश चंदर जीत सिंह ने राणा को केवल एक बार के लिए यह छूट दी। न्यायाधीश ने कहा कि यह कॉल जेल मैनुअल के अनुरूप होगी और तिहाड़ जेल प्राधिकरण की निगरानी में होगी।
अदालत ने सोमवार से 10 दिन के भीतर तहव्वुर राणा के स्वास्थ्य पर एक नई रिपोर्ट भी देने को कहा है। राणा को नियमित फोन कॉल की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं, न्यायाधीश ने इस पर जेल अधिकारियों को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए एक रिपोर्ट भी दाखिल करने का निर्देश दिया।
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पाकिस्तानी मूल का कनाडाई उद्यमी राणा (64) वर्तमान में न्यायिक हिरासत में है। छब्बीस नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों के मुख्य षड्यंत्रकारी डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी के करीबी सहयोगी राणा को 4 अप्रैल को अमेरिका की शीर्ष अदालत से उसके प्रत्यर्पण के खिलाफ समीक्षा याचिका खारिज होने के बाद भारत लाया गया था।
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राणा का प्रतिनिधित्व करने के लिए दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिवक्ता पीयूष सचदेवा को नियुक्त किया गया था। राणा पर हेडली और आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) तथा हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) के गुर्गों के साथ-साथ पाकिस्तान स्थित अन्य सह-षड्यंत्रकारियों के साथ मिलकर मुंबई पर तीन दिन तक आतंकी हमले की साजिश रचने का आरोप है।
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पाकिस्तान से समुद्री मार्ग से आए आधुनिक हथियारों और गोला-बारूद से लैस 10 आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में घुसने के बाद एक रेलवे स्टेशन, दो लक्जरी होटल और एक यहूदी केंद्र पर भीषण हमला किया था। लगभग 60 घंटे तक चले हमले में 166 लोग मारे गए थे। वहीं सुरक्षाबलों ने सघन ऑपरेशन में 9 आतंकियों को मार गिराया था और एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया था, जिसे बाद में अदालत के आदेश पर फांसी की सजा दी गई।
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