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NCPCR ने मदरसों को RTE दायरे में लाने की सिफारिश की, सबसे ज्यादा मुस्लिम बच्चे रह जाते हैं स्कूल से दूर

एनसीपीसीआर ने सर्वे में पाया कि देश में स्कूल न जाने वाले बच्चों की सबसे बड़ी संख्या मुस्लिम समुदाय से है, जो करीब 1.1 करोड़ है। इस अध्ययन का मकसद उन तरीकों का पता लगाना था जिनसे अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा मिल सके।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने देश भर के अल्पसंख्यक स्कूलों का मूल्यांकन करने के बाद सरकार से मदरसों सहित ऐसे सभी स्कूलों को शिक्षा के अधिकार और सर्व शिक्षा अभियान के दायरे में लाने की सिफारिश की है। एनसीपीसीआर के मूल्यांकन सर्वे में यह भी पाया गया कि देश में स्कूल न जाने वाले बच्चों की सबसे बड़ी संख्या मुस्लिम समुदाय से है, जो करीब 1.1 करोड़ है। आयोग के अध्ययन का मकसद उन तरीकों का पता लगाना था जिनसे अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा मिल सके।

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एनसीपीसीआर के एक नए अध्ययन में यह भी दावा किया गया है कि देश में धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में मुस्लिम अल्पसंख्यक स्कूलों की हिस्सेदारी महज़ 22.75 फीसदी है और इन अल्पसंख्यक स्कूलों में गैर-अल्पसंख्यक विद्यार्थियों की संख्या सबसे कम 20.29 प्रतिशत है। आयोग के अनुसार भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में ईसाई समुदाय की हिस्सेदारी 71.96 फीसदी है, जबकि कुल आबादी में समुदाय की हिस्सेदारी महज 11.54 प्रतिशत है।

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आयोग के अध्ययन में पाया गया कि सभी समुदायों में, 62.50 फीसदी विद्यार्थी गैर-अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित है जबकि 37.50 प्रतिशत अल्पसंख्यकों समुदायों से आते हैं। सर्वे के मुताबिक, ईसाई समुदाय के अल्पसंख्यक स्कूलों में गैर-ईसाई समुदाय के छात्रों की संख्या 74.01 प्रतिशत है। वहीं सिख समुदाय की धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में हिस्सेदारी 1.54 प्रतिशत है, जबकि कुल अल्पसंख्यक आबादी में 9.78 प्रतिशत है।

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इसके अलावा अध्ययन में कहा गया है कि बौद्ध समुदाय कुल धार्मिक आबादी का 3.38 प्रतिशत है और उसका कुल अल्पसंख्यक स्कूलों में 0.48 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वहीं जैन समुदाय धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी में 1.90 प्रतिशत है और धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उसकी हिस्सेदारी 1.56 प्रतिशत है। इसी तरह पारसी समुदाय कुल आबादी का 0.03 प्रतिशत है और देश में धार्मिक अल्पसंख्यक स्कूलों में उसकी हिस्सेदारी 0.38 प्रतिशत है। इनके अलावा आदिवासी धर्मों, बहाई, यहूदियों आदि का धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी में 3.75 प्रतिशत हिस्सेदारी हैं और अल्पसंख्यक स्कूलों में उनकी हिस्सेदारी 1.3 प्रतिशत है।

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एनसीपीसीआर ने स्कूल से बाहर के बच्चों की पहचान करने के लिए सभी गैर-मान्यता प्राप्त संस्थानों की मैपिंग की सिफारिश करते हुए कहा है कि बड़ी संख्या में बच्चे ऐसे स्कूलों में पढ़ते हैं जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं। ऐसे संस्थानों की संख्या ज्ञात नहीं है। ये संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हैं, यह भी ज्ञात नहीं है। इसलिए ऐसे संस्थानों की मैपिंग जरूरी है।

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