
संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा हुई। बहस की शुरुआत कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने की, जिन्होंने चुनाव प्रणाली, चुनाव आयोग की भूमिका और ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर कई अहम मुद्दे उठाए। बहस की शुरूआत करते हुए मनीष तिवारी ने कहा कि लोकतंत्र दो प्रमुख स्तंभों 98 करोड़ मतदाता और राजनीतिक दलों पर आधारित है। इसी कारण एक निष्पक्ष अंपायर की जरूरत के चलते चुनाव आयोग की स्थापना हुई।
मनीष तिवारी ने दावा किया कि पिछले 78 वर्षों में सबसे बड़ा चुनाव सुधार राजीव गांधी सरकार ने किया, जब 18 साल से अधिक उम्र के नागरिकों को वोट देने का अधिकार मिला।
तिवारी ने यह भी कहा कि आज चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है, इसलिए 2023 के कानून में संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाली समिति में दो सदस्य सरकार से, दो विपक्ष से और एक सीजेआई शामिल होना चाहिए। ऐसा होगा तो ठीक से खेला होबे
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कांग्रेस सांसद ने आरोप लगाया कि कई राज्यों में एसआईआर की कार्रवाई चल रही है, जबकि चुनाव आयोग को कानूनी तौर पर ऐसा करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि आयोग सेक्शन 21 का हवाला देता है, लेकिन न संविधान और न किसी कानून में एसआईआर का स्पष्ट प्रावधान है। यह व्यवस्था सिर्फ वोटर लिस्ट की गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए बनाई गई थी।
मनीष तिवारी ने मांग की कि सरकार सदन में बताए कि किन निर्वाचन क्षेत्रों में क्या खामियां मिलीं और क्यों एसआईआर की जरूरत पड़ी। तिवारी ने कहा कि सरकार को हर क्षेत्र में एसआईआर के कारणों को संसद के पटल पर रखा जाना चाहिए।
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चर्चा के दौरान ईवीएम की विश्वसनीयता पर भी मनीष तिवारी ने तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जनता के मन में शंका है कि क्या ईवीएम में छेड़छाड़ संभव है। उन्होंने समाधान के दो विकल्प बताए पहला या सभी ईवीएम के साथ 100% वीवीपैट लागू हों, दूसरा या फिर पेपर बैलट से चुनाव कराए जाएं।
इसके साथ ही उन्होंने पूछा कि ईवीएम का सोर्स कोड आखिर किसके पास है। चुनाव आयोग के, या उन कंपनियों के जो मशीनें बनाती हैं?
उन्होंने चुनाव के समय जनता के खातों में पैसा भेजे जाने को लोकतंत्र व सरकारी राजस्व के साथ खिलवाड़ बताया। तिवारी ने कहा कि संसद को यह नियम बनाना चाहिए कि जिन सरकारों का जीडीपी-डेब्ट रेशियो 20% से अधिक है, वे कैश ट्रांसफर न करें, वरना राज्यों पर कर्ज लगातार बढ़ता जाएगा।
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आखिर में मनीष तिवारी ने चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान लोकसभा में तीन बड़े सुधार प्रस्ताव रखे
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कानून में बदलाव:
कमेटी में राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और सीजेआई को शामिल किया जाए।
एसआईआर की प्रक्रिया बंद की जाए:
चुनाव आयोग के पास इसका स्पष्ट कानूनी अधिकार नहीं है।
चुनाव से पहले डायरेक्ट कैश ट्रांसफर पर रोक:
यह चुनाव को प्रभावित करता है और इसे तत्काल बंद होना चाहिए।
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