मध्यप्रदेश के धार में पुलिस कांस्टेबल की भर्ती के लिए आये युवाओं के सीने पर एससी-एसटी लिखने की घटना को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने इसे समानता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से 4 हफ्ते में संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई के साथ विस्तृत ब्यौरा मांगा है।
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आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर कहा है, “मीडिया रिपोर्ट से पता चलता है कि इस तरह की घटना सभ्य समाज में किसी भी हालात में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह समानता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है।”
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30 अप्रैल को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, “बीजेपी सरकार के जातिवादी रवैये ने देश की छाती पर छुरा मारा है। मध्यप्रदेश में युवाओं के सीने पर एससी-एसटी लिखकर देश के संविधान पर हमला किया है। यह बीजेपी और आरएसएस की सोच है। यही सोच कभी दलितों के गले में हांडी टंगवाती थी, शरीर में झाडू बंधवाती थी, मंदिर में घुसने नहीं देती थी। हम इस सोच को हराएंगे।”
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मध्य प्रदेश की चुनाव प्रचार अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस कृत्य को बीजेपी की समाज को बांटने वाली सोच का प्रतीक बताते हुए कहा था, “यह बीजेपी सरकार की मानसिकता का उदाहरण है। उसकी सिर्फ एक ही सोच और विचारधारा है कि धर्म के नाम पर देश को बांटो, जाति के नाम पर बांटो। अब तो यह हाल हो गया है कि आपकी जाति छाती पर अंकित की जा रही है। यह कलंक दिवस है। इसके लिए शिवराज और मोदी सरकार जिम्मेदार हैं।”
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धार जिले में पिछले दिनों आरक्षकों की भर्ती का अभियान चलाया गया। जिसमें सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 168 सेमी और एससी-एसटी के लिये 165 सेमी लंबाई तय की गई थी। यहां आए उम्मीदवारों की पहचान के लिए जिला अस्पताल ने आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों के सीने पर ही उनका वर्ग दर्ज कर दिया था।
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