संसद में बुधवार को पेश हुई शिक्षा पर स्थायी समिति की रिपोर्ट ने निजी उच्च शिक्षण संस्थानों (HEIs) में एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के लिए आरक्षण लागू करने की जोरदार सिफारिश की है। समिति का नेतृत्व कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने किया।
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कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बयान में कहा कि दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली द्विदलीय संसदीय स्थायी समिति (शिक्षा) ने आज संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के लिए निजी उच्च शिक्षण संस्थानों (HEIs) में आरक्षण की सिफारिश की गई है। रिपोर्ट की मुख्य बातें इस प्रकार हैं –
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 15(5), जिसे डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार ने 2006 में 93वें संशोधन के तहत शामिल किया था, सरकार को यह अधिकार देता है कि वह निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों के लिए आरक्षण अनिवार्य कर सके।
मई 2014 में, प्रमाटी एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट बनाम भारत संघ मामले में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 15(5) की वैधता को बरकरार रखा और स्पष्ट किया कि निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू किया जा सकता है।
हालांकि, वर्तमान में संसद द्वारा ऐसा कोई कानून पारित नहीं किया गया है जो अनुच्छेद 15(5) को लागू करता हो और निजी उच्च शिक्षण संस्थानों को एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों के छात्रों के लिए आरक्षण अनिवार्य करता हो।
निजी शैक्षणिक संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों का वर्तमान प्रतिनिधित्व बेहद कम है। समिति ने केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त तीन निजी इंस्टीट्यूशन्स ऑफ एमिनेंस (IoE) के छात्र संरचना का अध्ययन किया, जिसमें पाया गया –
0.89% छात्र एससी हैं
0.53% छात्र एसटी हैं
11.16% छात्र ओबीसी हैं
इसलिए समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि संसद एक कानून पारित करे, जिसके तहत एससी समुदायों के लिए 15% आरक्षण, एसटी समुदायों के लिए 7.5% आरक्षण और ओबीसी समुदायों के लिए 27% आरक्षण लागू किया जाए।
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जयराम रमेश ने आगे कहा कि अब एससी, एसटी और ओबीसी समुदायों की इस वैध मांग को नज़रअंदाज़ करना संभव नहीं है कि उन्हें निजी उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिले। 2024 लोकसभा चुनाव के “न्याय पत्र” में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यह वादा किया था कि निजी शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(5) को लागू करने के लिए कानून लाया जाएगा। संसदीय समिति ने अब इस मांग को नया बल प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि अब गेंद मोदी सरकार के पाले में है।
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