
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के ‘नकारात्मक आंकड़े’ का हवाला देते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि केंद्र की ‘शुतुरमुर्ग सरकार’ ने अर्थव्यवस्था से जुड़ी बुनियादी कमजोरी पर ध्यान देने के बजाय मनरेगा को खत्म करने का विकल्प चुना।
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जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘इस तिमाही के नकारात्मक एफडीआई आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं। लेकिन यह पूरी तरह से पूर्वानुमानित था। मोदी निर्मित अर्थव्यवस्था का बुनियादी दोष यह है कि उपभोक्ता मांग में सुस्ती आ चुकी है। कमजोर घरेलू निजी निवेश और एफडीआई इसका अपरिहार्य परिणाम हैं।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि इस संरचनात्मक कमजोरी पर संज्ञान लेने के बजाय, इस ‘शुतुरमुर्ग सरकार’ ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा मनरेगा को ध्वस्त करने का विकल्प चुना।
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कुछ खबरों में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की उदारीकृत धनप्रेषण योजना (एलआरएस) के तहत विदेश जाने वाले धन में अक्टूबर 2025 में सालाना आधार पर 1.81 प्रतिशत की कमी आई है। यात्रा और शिक्षा पर धन खर्च घटने के कारण यह एक साल पहले के 2.40 अरब डॉलर की तुलना में घटकर 2.35 अरब डॉलर रह गया है। दूसरी ओर, इस महीने की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-सितंबर के दौरान 18 प्रतिशत बढ़कर 35.18 अरब डॉलर रहा।
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