जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होन के बाद पाकिस्तान अपने ‘अच्छे मित्र’ चीन को छोड़कर अब तक किसी भी वैश्विक नेता को अपने पक्ष में नहीं कर सका है, जबकि वह लगातार सक्रियता से कूटनीतिक पहलों में जुटा हुआ है। यहां तक कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी निजी तौर पर दुनिया के कई देशों के प्रमुख नेताओं से बात कर इसका आग्रह किया, जिसमें मुस्लिम बहुल देश भी शामिल हैं।
नरेंद्रो मोदी सरकार ने 2014 पहली बार सत्ता में आने के साथ ही विदेशी रिश्तों को मजबूत करने पर विशेष काम किया। खासतौर से खाड़ी के देशों के साथ भारत के रिश्तों की बेहतरी पर बहुत ध्यान दिया गया।
Published: 09 Aug 2019, 8:30 PM IST
माना जा रहा है कि इसी का नतीजा है कि पाकिस्तान की अनदेखी करते हुए इस्लामिक सहयोग संगठन के प्रमुख सदस्य संयुक्त अरब अमीरात ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर पर भारत द्वारा उठाया गया कदम उनका आंतरिक मसला है।
यहां तक कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भी इस मसले पर कोई टिप्पणी नहीं की, जबकि इमरान ने उन्हें फोन कर इस बात की शिकायत की थी। न ही मलेशिया के महातिर मोहम्मद या तुर्की के रेशप तैयब एर्दोगन ने इस मसले पर कुछ कहा है।
Published: 09 Aug 2019, 8:30 PM IST
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कोआपरेशन (ओआईसी) कश्मीर संपर्क समूह की आपातकालीन बैठक बुलाने के लिए दौड़ कर जेद्दा गए। ओआईसी कश्मीर समूह हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है, उसने भारत के इस कदम को अवैध करार दिया है, लेकिन भारत हमेशा इस समूह के नियमित बयानों को खारिज करता रहता है।
Published: 09 Aug 2019, 8:30 PM IST
इसके बावजूद पाकिस्तान यह समझने में नाकाम रहा कि भारत ने खाड़ी के देशों के साथ न सिर्फ अपने रिश्ते बेहतर किए हैं बल्कि भारत में राजनीतिक स्थिरता ने भी इन देशों द्वारा अपने काम से काम रखने पर ध्यान देने में अहम भूमिका निभाई है। नतीजा यह है कि भारत से रिश्ते बिगाड़ने की बजाए ये देश भारत के साथ रिश्ता बनाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हैं।
यूं भी खाड़ी के देश ना सिर्फ भौगोलिक रूप से भारत के करीब हैं, बल्कि वहां करीब 76 लाख भारतीय रह रहे हैं और काम कर रहे हैं, जिसमें सऊदी अरब में 28 लाख और संयुक्त अरब अमीरात में 26 लाख भारतीय रहते हैं।
Published: 09 Aug 2019, 8:30 PM IST
इन हालात में पाकिस्तान को कहीं से जब सहारा नहीं मिला तो उसे सिर्फ चीन का ही आसरा दिखा। वैसे भी कर्ज से लदे पाकिस्तान के साथ कोई भी देश सीधे खड़े होने को उत्सुक नहीं दिखता है।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
Published: 09 Aug 2019, 8:30 PM IST
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Published: 09 Aug 2019, 8:30 PM IST