दिवाली पर प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली-एनसीआर समेत सभी जगह जमकर पटाखे फोड़े जाने का असर अब देखने को मिल रहा है। लगातार बढ़ते प्रदूषण और खराब ए क्यू आई इंडेक्स के चलते दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों की संख्या में 15 फीसद तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि वायु गुणवत्ता सूचकांक 300 के आसपास तक पहुंच रहा है।
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पहले से ही प्रदूषित हवा में पटाखों के धुएं का जहर घुलने से अस्थमा, सीओपीडी, ब्रोंकाइटिस के मरीजों की मुश्किलें बढ़ रही हैं। दिल के मरीजों की संख्या में इजाफा दर्ज किया जा रहा है। इस गंभीर समस्या पर सीनियर जनरल फिजिशियन डॉक्टर अमित कुमार ने बताया की प्रदूषण का असर हृदय और फेफड़ों पर भी पड़ता है। पटाखे के धुंए की वजह से सांस लेने में तकलीफ की शिकायत लेकर बहुत सारे मरीज लगातार अस्पताल पहुंच रहे हैं।
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उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस बार फिलहाल प्रदूषण का स्तर कम है, लेकिन पिछले कुछ दिनों की तुलना में स्तर कहीं ज्यादा बढ़ गया है। इसके साथ-साथ आंखों में जलन और त्वचा संबंधी बीमारी के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण का असर बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के लोगों पर सबसे ज्यादा होता है। वातावरण में पोल्यूटेंट्स के उच्च स्तर से फेफड़ों पर असर पड़ने के अलावा नसों में सूजन आ जाती है। जिससे हृदय को रक्त आपूर्ति करने वाली धमनिया सख्त हो जाती हैं। इससे दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।
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इससे बचाव के लिए उन्होंने बताया है कि मास्क जरूर पहने, अनावश्यक घर से बाहर ना निकले, नियमित व्यायाम करें, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है और आंखों में जलन की शिकायत वाले मरीजों को आंखें साफ पानी से धोने और अस्थमा के मरीजों का हमेशा आपके साथ इन्हेलर रखने की सलाह दी जा रही है।
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