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पीएम मोदी 13 सितंबर को जा सकते हैं मणिपुर, दो साल बाद हिंसाग्रस्त राज्य जाने पर कांग्रेस ने कहा- बहुत देर हो गई

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री आखिरकार 13 सितंबर को मणिपुर का संक्षिप्त दौरा करने का साहस और सहानुभूति जुटा पाएंगे। लेकिन यह बहुत कम, बहुत देर का मामला हो सकता है।

पीएम मोदी 13 सितंबर को जा सकते हैं मणिपुर, दो साल बाद हिंसाग्रस्त राज्य जाने पर कांग्रेस ने कहा- बहुत देर हो गई
पीएम मोदी 13 सितंबर को जा सकते हैं मणिपुर, दो साल बाद हिंसाग्रस्त राज्य जाने पर कांग्रेस ने कहा- बहुत देर हो गई फोटोः सोशल मीडिया

मणिपुर हिंसा के करीब सवा दो साल बाद पीएम मोदी के राज्य का दौरा करने की चर्चा है। खबरें हैं कि पीएम मोदी 13 सितंबर को मिजोरम के साथ मणिपुर भी जा सकते हैं। हालांकि, पीएम मोदी के दौरे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन इस बीच मणिपुर सरकार ने संभावित वीवीआईपी दौरे को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेस ने पीएम मोदी के संभावित दौरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अब बहुत देर हो गई है।

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प्रधानमंत्री की 13 सितंबर को संभावित यात्रा को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स के बीच, प्रदेश सरकार ने अधिकारियों से इंफाल और चुराचंदपुर जिले में आवश्यक व्यवस्था करने को कहा है। हालांकि, सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी अधिसूचना में वीवीआईपी का नाम या यात्रा की तारीख का उल्लेख नहीं किया गया है। मणिपुर के मुख्य सचिव पुनीत कुमार गोयल ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य में वीवीआईपी की प्रस्तावित यात्रा से संबंधित व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की। मुख्य सचिव ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों से कहा कि वीवीआईपी की यात्रा को भव्य तरीके से आयोजित किया जाना चाहिए। अधिसूचना में कहा गया है, "ब्लू बुक के अनुसार सभी सुरक्षा व्यवस्थाएं की जाएंगी, जिसमें जैमर लगाना, रास्ते में सैनिटाइजेशन और कंगला फोर्ट (इंफाल) और चुराचांदपुर जिले में समारोह स्थल की तोड़फोड़-रोधी जांच शामिल है।"

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इस बीच हिंसा प्रभावित राज्य का दौरा नही करने पर पीएम मोदी को घेरती आ रही कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा कि अब बहुत देर हो गई है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री आखिरकार 13 सितंबर को मणिपुर का संक्षिप्त दौरा करने का साहस और सहानुभूति जुटा पाएंगे। लेकिन यह बहुत कम, बहुत देर का मामला हो सकता है।

जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर में 3 मई, 2023 को उथल-पुथल मची, जब राज्य में तथाकथित डबल इंजन सरकार थी। बीजेपी और उसके सहयोगियों को पंद्रह महीने पहले ही विधानसभा चुनावों में भारी जनादेश मिला था। लेकिन इस जनादेश के बावजूद, तथाकथित डबल इंजन सरकार अपनी ही चालों के कारण पूरी तरह से पटरी से उतर गई। सैकड़ों लोग मारे गए। हज़ारों लोग विस्थापित हुए। हज़ारों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। सामाजिक सद्भाव पूरी तरह से नष्ट हो गया है। भय और संदेह का माहौल है। फिर भी प्रधानमंत्री चुप रहे। 1 अगस्त, 2023 को, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य में संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। फिर भी प्रधानमंत्री चुप रहे।

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कांग्रेस महासचिव ने कहा कि राज्य एक संकट से दूसरे संकट में फंसता रहा। एक आदिवासी महिला राज्यपाल को पद से हटा दिया गया और लगभग छह महीने तक नई राज्यपाल गुवाहाटी से ही काम करती रहीं। दिल्ली में बैठे उनके संरक्षकों ने मुख्यमंत्री को अपनी चालें चलने के लिए प्रोत्साहित किया। आखिरकार, जब विधानसभा में मुख्यमंत्री के खिलाफ कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव पेश होना था, 13 फरवरी, 2025 को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया- जिसे पिछले महीने बढ़ा दिया गया। हालांकि, राष्ट्रपति शासन ने लोगों के दैनिक जीवन में कोई खास बदलाव नहीं किया है।

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उन्होंने कहा कि 29 महीनों से प्रधानमंत्री ने मणिपुर के किसी भी राजनीतिक नेता, किसी भी राजनीतिक दल, किसी भी विधायक या सांसद, या किसी भी नागरिक समाज समूह से मिलने से इनकार कर दिया है। उन्होंने भारत के सबसे महान सांस्कृतिक प्रतीकों में से एक रतन थियम के निधन पर भी शोक व्यक्त नहीं किया, जिनका 23 जुलाई, 2025 को इम्फाल में निधन हो गया।

जयराम रमेश ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों में, प्रधानमंत्री ने दुनिया भर की यात्रा की है और असम और अरुणाचल प्रदेश का भी दौरा किया है, लेकिन उन्हें मणिपुर के लोगों तक पहुंचने के लिए न तो समय मिला है और न ही उन्होंने इच्छा दिखाई। प्रधानमंत्री द्वारा मणिपुर की पूर्ण उपेक्षा और केंद्रीय गृह मंत्री की बड़बोली अक्षमता ने मणिपुर के समाज के सभी समुदायों के दर्द, संकट और पीड़ा को और गहरा कर दिया है।

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