बिहार में जातीय जनगणना को लेकर गर्म सियासत नरम पड़ने का नाम नहीं ले रही है। बिहार में विपक्ष के साथ ही सत्ताधारी जेडीयू भी जातीय जनगणना कराने के पक्ष में खड़ी नजर आ रही है। इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को जातीय जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर मिलने का समय मांगा है।
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पटना में गुरुवार को पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जातीय जनगणना कराए जाने की मांग को लेकर बिहार का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलेगा। हमने पत्र लिखा है। समय मिलने का इंतजार है। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात होगी। नीतीश ने यह भी बताया कि उनकी पार्टी जेडीयू के सभी सांसद जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं।
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इधर, बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) भी इस मुद्दे को लेकर केंद्र की मोदी सरकार और बीजेपी के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरने में जुटी है। जातीय जनगणना की मांग को लेकर आरजेडी 7 अगस्त को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों पर धरना और प्रदर्शन करने की घोषणा कर चुकी है।
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वहीं जातीय जनगणना को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए में शामिल जेडीयू के अलावा हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी जेडीयू के सुर में सुर मिला चुके हैं। इधर, लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान भी जातीय जनगणना कराने को लेकर जेडीयू के साथ खडे नजर आ रहे हैं। ऐसे में बीजेपी के नेता इस मामले को लेकर ज्यादा कुछ खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं। बहरहाल, जातीय जनगणना को लेकर बिहार की सियासत गर्म है और राजनीतिक दलों के बीच इस मुद्दे को लेकर बयानबाजी तेज है।
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