शायद आपको याद हो कि लोकसभा चुनाव 2014 से पहले बीजेपी के नेता कैसे महंगाई की माला जपते रहते थे। कोई सर पर सिलेंडर लेकर घूमता था, तो कोई बैलगाड़ी पर सवार हो कर। हर दिन बीजेपी नेता महंगाई को लेकर नौटंकी करने में लगे रहते थे। महंगाई को लेकर चुनाव में बड़े-बड़े पोस्टर और होर्डिंग लगाए गए और नया नारा भी गढ़ा गया, बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार। लेकिन सत्ता में आने के बाद से अब तक मोदी सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए कुछ किया ऐसा दिखता नहीं है। अब आलम यह है कि देश में लोग बस करो मोदी सरकार, रहम करो मोदी सरकार जैसे नारे लगाने पर बाध्य हो गए हैं।
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दरअसल देश की आम जनता कोरोना महामारी की मार से उबरने की कोशिश कर ही रही थी कि, इसी बीच कमर तोड़ महंगाई ने उनकी जेब पर डाका डाल दिया है। रोजमर्रा की सबरे जरूरी चीजें भी आम जनता की पहुंच से बाहर होती जा रही है। यहां तक की नून तेल की कीमतों भी बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक नमक, चाय, तेल, दूध समेत अन्य रोजमर्रा की चीजों के दाम 25% तक बढ़ गए हैं। थोक महंगाई अब तक के रिकॉर्ड स्तर और रिटेल महंगाई 2021 के ऊंचाई पर है।
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कई चीजों के दाम ने तो डबल सेंचुरी जड़ दिए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एक लीटर सरसों का तेल 23 जून को 212 रुपए तक बिक रहा है। रोजमर्रा के आइटम देखें तो इसमें सरसों का तेल सबसे ज्यादा महंगा हुआ है। इसके बाद अरहर दाल, चाय, आटे और नमक का नंबर आता है। फिलहाल इससे राहत की भी उम्मीद कम ही है। जानकारों की मानें तो आपको अभी अगस्त तक इस महंगाई से छुटकारा नहीं मिलने वाला।
हैरानी की बात है कि जनता इनती परेशान है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा कीमत नियंत्रण के लिए किए गए उपाय जमीन पर कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। न सरकार इस बारे में कोई बात कर रही है। बीजेपी के वो नेता भी चुप्पी साधे बैठे हैं, जो गले में गैस सिलेंडर टांगें प्रदर्शन करते थे।
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महंगाई बढ़ने की एक बड़ी वजह महंगे पेट्रोल-डीजल है। इसकी वजह से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ी है। तो दूसरी ओर कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग में ज्यादा लागत का भार ग्राहकों पर भी डाल रही हैं। इन्हीं सब कारणों से मई में खुदरा महंगाई दर 6.30% रही, जो अप्रैल में 4.23% थी। वहीं, थोक महंगाई मई में लगातार दूसरी बार डबल डिजिट में रही और 12.94% हो गई।
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'अच्छे दिन आने वाले हैं’ जैसे लोकलुभावन नारों की बुनियाद पर बनी मोदी सरकार न तो पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले केंद्रीय कर में कटौती कर रही है और न ही पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को तैयार है। ऐसे में आम आदमी को महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है।जानकारों की मानें तो आम लोग दूसरी तिमाही तक ही कोई राहत की उम्मीद कर सकते हैं। क्योंकि इस बार मानसून अच्छा रहने वाला है।
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