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अयोध्या जमीन घोटाला! प्रियंका बोलीं- हड़पी गई दलितों की जमीन, चंदे का हुआ घोटाला, SC के स्तर पर हो जांच

प्रियंका गांधी ने कहा कि मंदिर ट्रस्ट को सुप्रीम कोर्ट के आधार पर बनाया गया तो यह जांच भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा होना चाहिए, क्योंकि जिला स्तर के अधिकारी मेयर की जांच कैसे करेंगे?

फोटो: विपिन
फोटो: विपिन 

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में कुछ नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जमीन की कथित तौर पर खरीद करने के मामले में अब मोदी और यूपी की योगी सरकार घिरती नजर आ रही। इधर विपक्ष भी लगातार सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस की ओर से सरकार पर घोटाले के आरोप लगाए गए हैं। अब इस मामले पर कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मोदी और योगी सरकार पर हमला बोला है। प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया है कि राम मंदिर के आसपास की जितनी भी जमीनें हैं, उसकी लूट मची है। बीजेपी के नेता, अधिकारी और ट्रस्ट के लोग इस लूट में शामिल हैं।

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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, “देश के सभी घरों ने जो बचत की थी, उसमें से सभी ने राम मंदिर ट्रस्ट को चंदा दिया था। यह सबकी आस्था है, उसे आज चोट पहुंचाई जा रही है। तीन चीजें हुई हैं। दलितों की जमीन जो खरीदी नहीं जा सकती थी उसे खरीदी गई और हड़पी गई। कुछ जमीनें जो कम दाम की थीं। उसे ट्रस्ट को बहुत ज्यादा पैसों में बेची गई। इसका मतलब यह है कि जो चंदा का पैसा है उसके साथ घोटाला किया गया है।”

प्रियंका गांधी ने कहा कि इसमें एक मिसाल है, जिससे बहुत स्पष्ट तरीके से सामने यह बात आती है की जमीनों की खरीद में घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा, “एक जमीन थी जो दो करोड़ की खरीदी गई थी। उन्होंने 2021 में उस मजीन के 10 हजार वर्ग मीटर ट्रस्ट को बेचे। वो 8 करोड़ के लिए वो जमीन बेची। दूसरी जमीन का दूसरा हिस्सा 12 हजार वर्ग मीटर दो करोड़ में रवि मोहन तिवारी जी को बेची गई। यह जमीन 19 मिनट बाद ही बेची गई। जो रवि मोहन तिवारी जी की सेल डीड है, जिसके जरिए वह जमीन खरीद रहे हैं, अनिल मिश्रा जी जो आरएसएस के सर संघचालक हैं, और राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी हैं वो इसके गवाह हैं। इसमें दूसरे गवाह ऋषिकेश उपाध्याय हैं। जो अयोध्या के मेयर साहब हैं। तो ये दोनों गवाह हैं। पांच मिनट बात रवि मोहन तिवारी उसी दो करोड़ की जमीन को 18 करोड़ में ट्रस्ट को बेच देते हैं। अगर यह घोटाला नहीं है तो क्या है?”

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कांग्रेस महासचिव ने आगे कहा, “जमीन खरीद में गवाह आरएसएस के सरसंघचालक और राम मंदिर के ट्रस्टी हैं। दूसरे गवाह अयोध्या के मेयर साहब हैं। कल उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि वह जांच नियुक्त कर रहे हैं। जांच कौन कर रहा है? जिला अधिकारी लेवल के अधिकारी कर रहे हैं। जिला अधिकारी के स्तर पर यह जांच हो रही है। राम मंदिर ट्रस्ट को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर बनाया गया था। तो यह जांच भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा होनी चाहिए। क्योंकि जिला अधिकारी के स्तर का इंसान मेयर को नहीं जांच सकता। यह तो आप सब अच्छी तरह से जानते हैं।”

प्रियंका गांधी ने कहा, “राम मंदिर के आसपास जितनी भी जमीनें हैं। उस पर लूट लगी हुई है। बीजेपी के जो नेता हैं, पदाधिकारी हैं और जो सरकारी अधिकारी हैं सीएम योगी की सरकार के वो सब लूट में मिले हुए हैं। यह तो एक ही मिसाल है। वहां पर कितनी जमीन है। हजारों करोड़ का घोटाला किया गया है यह नहीं मालूम। बात यह है कि भगवान राम मर्यादा, नैतिकता के प्रतीक थे। सत्य के पथ पर चलने के लिए तैयार। उन्होंने बड़ा बलिदान दिया क्योंकि उन्होंने सत्य के पथ पर चलने का फैसला लिया था। अब उनके नाम पर भी आप भ्रष्टाचार कर रहे हैं। पूरे देश की आस्था को ठुकरा रहे हैं। उस पर चोट पहुंचा रहे हैं। यह एक बहुत गंभीर बात है।”

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गौरतलब है कि राम मंदिर के आसपास बीजेपी के विधायकों, कई बड़े नेताओं, यूपी के अफसरों और उनके परिजनों ने व्यापक स्तर पर जमीनें खरीदने का खुलासा हुआ है। इंडियन एक्सप्रेस की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर जमीन खरीद के 14 मामलों को खंगालने से पता चला है कि राम मंदिर स्थान के पांच किलोमीटर क्षेत्र में एक विधायक, महापौर और राज्य ओबीसी आयोग के सदस्य ने अपने नाम पर जमीन खरीदी है। इनके अलावा संभागीय आयुक्त, अनुमंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उप महानिरीक्षक, सर्किल अफसर और राज्य सूचना आयुक्त के रिश्तेदारों तक ने भी जमीनें खरीदी हैं। इसमें से पांच मामलों में हितों के टकराव का मामला उत्पन्न होता है।

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खुलासे के बाद सीएम योगी ने दिए जांच के आदेश

मामले का खुलासा होने के बाद आनन फानन में यूपी की योगी सरकार ने भी मामले की जांच के आदेश दिए हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या में कुछ नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जमीन की कथित तौर पर खरीद करने के मामले में जांच का आदेश दिए हैं। इस मामले पर लखनऊ में अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने बताया, 'मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजस्व विभाग को मामले की गहनता से जांच करने को कहा है।

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राम के नाम पर हो रही है लूट!

इससे पहले इस मामले पर कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा था कि भगवान राम के अयोध्या में बन रहे भव्य मंदिर के नाम पर चंदे की लूट और अब भगवान राम की अयोध्या नगरी में भाजपाइयों द्वारा संपत्ति एकत्रित करने की लूट से साफ है कि भाजपाई अब रामद्रोह कर रहे हैं। अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नाम पर मर्यादा को ताक पर रखकर सरेआम लूट मची हुई है। एक तरफ आस्था का दीया जलाया गया और दूसरी तरफ आस्था के उस दीये के अंधेरे के नीचे भगवान राम के नाम पर भाजपाईयों द्वारा लूट मचाई गई, यह कड़वा सच है।

सुरजेवाला ने कहा कि अब तीन तथ्य सामने आए हैं। पहला भाजपाइयों द्वारा राम मंदिर ट्रस्ट को महंगी जमीनें बेच कर करोड़ों का मुनाफा कमाया गया। चंदे की चोरी की गई। एक और ज्यादा चौंकाने वाला मामला सामने आया है कि राम मंदिर ट्रस्ट को न केवल निजी संपत्ति बल्कि सरकारी संपत्ति को निजी लोगों द्वारा बेच दिया गया और पैसा अर्जित कर लिया गया और अब जो सनसनीखेज तीसरा खुलासा सामने आया है, वो और चिंता का विषय है और वो है कि अयोध्या में मंदिर के चारों तरफ बीजेपी विधायकों, बीजेपी के मेयर, सरकारी आयोग के सदस्यों, सूचना आयुक्त और योगी सरकार के आला ऑफिसरों द्वारा संपत्तियों को औने-पौने दामों पर खरीदा गया है।

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कांग्रेस ने किया लूट में शामिल नामों का खुलासा

नामों का खुलासा करते हुए सुरजेवाला ने कहा कि नंबर एक पर हैं अयोध्या के बीजेपी विधायक वेद प्रकाश गुप्ता, जिनके भतीजे तरुण मित्तल द्वारा 20 हजार 34 स्क्वेयर मीटर जमीन 21 नवंबर, 2019 और 29 दिसंबर, 2020 को खरीदी गई। दूसरे, अयोध्या के गोसाईगंज के बीजेपी विधायक इंद्र प्रताप तिवारी द्वारा 2,593 वर्ग मीटर जमीन 19 नवंबर, 2019 को खरीदी गई और उसके बाद इनके ब्रदर इन लॉ के द्वारा 6,320 स्क्वेयर मीटर जमीन 16 मार्च, 2021 को खरीदी गई।

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी के अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, जिनके साले के द्वारा दो करोड़ की जमीन राम मंदिर ट्रस्ट को 5 मिनट में 18 करोड़ में बेची गई थी, उन्हीं के द्वारा 1,480 वर्ग मीटर जमीन 18 सितंबर, 2019 को खरीदी गई। बीजेपी नेता और यूपी ओबीसी आयोग के सदस्य बलराम मौर्य 9,375 वर्ग मीटर जमीन 28 फरवरी, 2020 को राम मंदिर की पेरीफ्री में खरीद ली गई। सूचना आयुक्त हर्षवर्धन शाही ने लगभग 1,000 वर्ग मीटर जमीन और उनकी धर्म पत्नी के द्वारा 18 नवंबर, 2021 को मंदिर के साथ खरीद ली गई।

सुरजेवाला ने बताया कि इसी तरह अयोध्या मंडलायुक्त एमपी अग्रवाल पुरुषोत्तम दास गुप्ता, चीफ रेवेन्यू कमिश्नर अयोध्या, दीपक कुमार, डीआईजी अयोध्या और ना जाने कितने और अधिकारियों द्वारा राम मंदिर के चारों तरफ वाली जमीन सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आते ही खरीद ली गई और यही नहीं अब तो हमारे दलित भाईयों को भी नहीं बख्शा गया। इनके अलावा बीजेपी के एक और समर्थक महेश योगी जी ने महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के नाम से पहले 21 बीघा जमीन, जिसकी कीमत साढ़े 9 करोड़ रुपए है, 25 लाख में ट्रस्ट के नाम करवा ली और फिर उसे भी अधिकारियों को बेच दिया गया।

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सुजेवाला ने कहा कि हम सबको मालूम है कि यूपी में दलितों को आवंटित जमीन सामान्य वर्ग का कोई व्यक्ति नहीं खरीद सकता। परंतु राम मंदिर के चारों तरफ की दलितों की जमीन, भगवान श्रीराम भीलनी के बेर खाया करते थे और ये दलितों की जमीन भी हड़प गए। इन्होंने उन्हें भी नहीं बख्शा। और सबसे हास्यास्पद बात ये है कि जिन मामलों में हितों के टकराव का मामला सामने आय़ा है, उनकी जांच उन्हीं अधिकारियों को सौंपी गई है, जिनके रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीदी गई है।

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम की अयोध्या नगरी के अंदर बीजेपी के लोगों द्वारा जमीनों की खुली लूट का धंधा चल रहा है और हमारे प्रधानमंत्री जी पूरी तरह से मौन धारण किए हैं। एक शब्द उनके मुंह से निकल नहीं रहा। सुरजेवाला ने पूछा कि मोदी जी अब इस खुली लूट पर आप अपना मुंह कब खोलेंगे? मोदी जी क्या ये रामद्रोह नहीं, क्य़ा ये रामद्रोह से कम है? ‘अंधेर नगरी, चौपट राजा’ का धंधा अब अयोध्या में भाजपाई चला रहे हैं। पर शायद वो भूल गए कि भगवान राम के घर में देर हो सकती है, पर अंधेर कभी नहीं हो सकता। इसलिए सारे भाजपाई पाप और श्राप के भागी हैं और अब प्रधानमंत्री को सामने आकर जवाब देना चाहिए कि वो मंदिर के चंदे की लूट की जांच कब करवाएंगे और ये जो संपत्ति भगवान श्री राम की अयोध्या में अर्जित की जा रही है भाजपाइयों द्वारा, इसकी जांच कब होगी?

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