हालात

पंजाब: बारिश थमी लेकिन बाढ़ का कहर जारी; सड़क किनारे हो रहे अंतिम संस्कार रहे, फैल रहा संक्रमण का खतरा 

पाकिस्तान की ओर से आ रहा पानी भी कहर ढा रहा है। फिरोजपुर और फाजिल्का के बेशुमार गांव शेष दुनिया से कट गए हैं। जैसे-तैसे वहां के बाशिंदों को हटाकर सुरक्षित ठीए-ठिकानों तक पहुंचाया जा रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

पंजाब में बारिश फिलहाल रुकी हुई है लेकिन बादल आसमान से अवाम को बेतहाशा खौफजदा कर रहे हैं। क्षतिग्रस्त इलाके मरघटी खामोशी में हैं लेकिन सामान्य नहीं। जिस निकटवर्ती पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में पंजाब के लोग मॉनसून की बारिश देखने और भीगने के लिए जाते थे, वह अब उनकी तबाही का बड़ा सबब बन गया है। वहां से आ रहा पानी यहां के बांधो, नदियों और नालों को खतरनाक स्तर पर उफान पर ला रहा है। जगह-जगह पुल टूट रहे हैं। पाकिस्तान की ओर से आ रहा पानी भी कहर ढा रहा है। फिरोजपुर और फाजिल्का के बेशुमार गांव शेष दुनिया से कट गए हैं। जैसे-तैसे वहां के बाशिंदों को हटाकर सुरक्षित ठीए-ठिकानों तक पहुंचाया जा रहा है। पीड़ितों की तादाद हजारों से कहीं आगे है। आधिकारिक तौर पर इसलिए भी कोई बयान नहीं आता कि सीमित संख्या के अधिकारी और कर्मचारी प्रत्येक गांव में फौरी जांच-जायजे के लिए नहीं पहुंच सकते। सरकार सक्रिय तो नजर आती है लेकिन उसकी सीमाएं भी साफ दीखती हैं। अनुभवहीनता के चलते भी ऐसा है। अफसरशाही की आधी कमान तो 'दिल्ली वालों' के हाथों में है।                                         

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सतलुज और घग्गर सूबे की मुख्य नदियां हैं जिनका विस्तार सुदूर तक जाता है। एक दिन पहले तक सतलुज कदम-दर-कदम तबाही मचा रही थी और अब घग्गर नदी ठीक उसी लीक पर है। घग्घर प्रदेश के बड़े शहरों पटियाला और संगरूर में बर्बादी का दूसरा नाम बन गई है। बरसात को रुके हुए तीन दिन हो गए हैं लेकिन इस नदी का उफान लगातार चढ़ रहा है। यह खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। उफान का स्तर अगर बढ़ा तो इलाके में ऐतिहासिक तबाही होगी। इसकी वजह से पटियाला जिले में तकरीबन ढाई लाख एकड़ फसल पानी में पूरी तरह डूब गई है। पानी उतरता भी है तो कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगले कई महीने तक सवा लाख एकड़ प्रभावित भूमि पर कोई भी फसल नहीं उगाई नहीं जा सकती। घग्घर ने संगरूर जिले में 42 हजार एकड़ फसल समूचे तौर पर बर्बाद कर दी है और आगे अभी और नुकसान की आशंका है। यहां किसान और खेत-मजदूर खून के आंसू रोने को मजबूर हैं। पटियाला के एक किसान नाजर सिंह ने फोन पर बताया कि उसने लाखों रुपए का कर्ज लेकर फसल की बिजाई की थी लेकिन अब सब जल-थल हो गया। नाजर सिंह को अंदेशा है कि हालात थोड़ा सामान्य होते ही साहूकार उसकी जमीन और घर पर कब्जा कर लेंगे। ऐसे में सात सदस्यों वाला परिवार कहां जाएगा?                

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हासिल सरकारी और गैरसरकारी जानकारी के अनुसार सूबे के 14 जिले भयानक बाढ़ की चपेट में हैं। 1200 गांव आफत की बेरहम बारिश का शिकार हुए हैं। इन जिलों और गांवों में बारिश रुक गई है लेकिन बीमारियों की बरसात होने लगी है। मारे गए पशुओं के शव नीचे से ऊपर आ रहे हैं। उन्हें दफनाने के लिए कोई जगह नहीं। प्रशासन-व्यवस्था के पास भी जवाब नहीं कि क्या किया जाए? जाहिरन मरे जानवरों के शव संक्रमित बीमारियां फैलाएंगे। सरकारी रपट बताती है कि अब तक 18 लोग बाढ़ और तेज बारिश के चलते जिंदगी की जंग हार चुके हैं। दर्जनों लापता हैं। कईयों के जख्मी होने की खबर है।                                      

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रोपड़ और नवांशहर जिलों में तकरीबन दस हजार पोल्ट्री जानवर मर चुके हैं। शेष 12 जिलों में भी बड़ी तादाद में पोल्ट्री जानवर मर गए हैं। बीमारियां उनसे भी फैलने का खतरा सामने है लेकिन किसी के पास कोई समाधान नहीं। पंजाब के पटियाला, रोपड़, संगरूर, जालंधर, फिरोजपुर, कपूरथला और फतेहगढ़ साहिब जिलों में लोगों की जान-माल की रक्षा के लिए फौज ने मोर्चा संभाला हुआ है। इस बीच इन पंक्तियों को लिखते वक्त खबर मिली है कि घग्घर और कुछ अन्य नहरों में पानी का वेग एकाएक तेज हो चला है। कुछ पत्रकार तो इसकी पुष्टि करते हैं लेकिन अधिकारियों से फोनवार्ता नहीं हो पा रही। सचिवालय और जिला सचिवालय के अधिकारी भी फील्ड में हैं।              

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पटियाला में पहले घग्घर में पानी 70 हजार क्यूसिक चल रहा था लेकिन हरियाणा की ओर से मारकंडा तथा टांगरी नदियों का लगभग 80 हजार क्यूसिक पानी और आकर घग्गर में मिल गया है। घग्घर का यह कुल पानी आगे भाखड़ा मेन लाइन से टकरा रहा है। जिसके चलते समाना इलाके के सैकड़ों गांव पानी की जद में आ गए हैं। बाढ़ पहले ही यहां तबाही मचा चुकी है। घग्घर और मररोड़ा के बीच का बांध टूट गया है। इससे राष्ट्रीय राजमार्ग भी अवरुद्ध हो गया है। घग्घर के फैलते पानी ने मानसा जिले में भी जबरदस्त कहर ढाह दिया है। घग्घर का पानी संभाले नहीं संभल रहा बल्कि और ज्यादा रौद्र रूप दिखा रहा है। मोहाली से लेकर मानसा तक लोग बेजार हैं। जिंदगियां मौत से अपने बच्चों और बुजुर्गों के लिए सांसो की भीख मांग रही हैं। सितम यह है कि उन्हें प्राथमिक उपचार की दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हैं। मांग के बावजूद दवाइयों की आपूर्ति नहीं हो रही और बाढ़ग्रस्त गांवों की डिस्पेंसरियों पर हफ्ते भर से ताले लटके हुए हैं। सैकड़ों गांवों के श्मशान घाट पांच-पांच फिट पानी में डूबे हुए हैं। मृतकों के संस्कार का संकट खड़ा हो गया है। बुधवार को जिला जालंधर के गांव गीद्ड़पिंडी में बुजुर्ग मास्टर मोहन सिंह का संस्कार सड़क के किनारे करना पड़ा। ऐस हालात कई जगह दरपेश हो रहे हैं। आसमानी कहर और बाढ़ से बचने वाले इलाज के अभाव में बीमारियों से जूझते हुए दम तोड़ रहे हैं। 

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पिछले बुधवार को बारिश का कहर बरपना शुरू हुआ था; तब से लेकर अब तक उत्तरी रेलवे ने 700 से ज्यादा रेलगाड़ियां रद्द कर दी हैं। इनमें 300 मेल एक्सप्रेस और 406 पैसेंजर रेलगाड़ियां शामिल है। 191 रेलगाड़ियों के रूट बदले गए हैं। पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा और दिल्ली में हुई अथवा हो रही भारी वर्षा के चलते उत्तर डिवीजन की रेल सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुईं हैं। परिवहन के अन्य साधन भी कमोबेश ठप हैं। बहुत ज्यादा दिक्कत विदेश वापिस जाने वालों को आ रही है।                            

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इस बीच भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील कुमार जाखड़ ने बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए 218.40 करोड़ रुपए की धनराशि जारी की है। जाखड़ ने बताया कि प्रधानमंत्री के कहने पर गृहमंत्री अमित शाह जारी आपदा के मद्देनजर मुख्यमंत्री भगवंत मान से संपर्क किया था। मुख्यमंत्री मान जल्दी में थे, जब उनसे यह पूछा गया। अलबत्ता उन्होंने इतना जरूर कहा कि पंजाब को खैरात की कोई जरूरत नहीं! भयावह आपदा का शिकार राज्य के मुख्यमंत्री के ऐसे जवाब के क्या मायने निकाले जाएं? रोज यह खबर अफवाह बन जाती है कि मुख्यमंत्री भगवंत मान गिरदावरी करवा रहे हैं। जाखड़ का कहना है कि फिलहाल राज्य सरकार गिरदावरी कराए बगैर प्रत्येक पीड़ित किसान को 20 हजार रुपए का मुआवजा दे। मुख्यमंत्री को जब इस पर दो शब्द बोलने होते हैं तो कह देते हैं कि पहले हालात काबू किए जाएं और फिर सियासत की बातें होंगी।

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