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राहुल गांधी का केंद्र पर तीखा हमला, कहा नफरत फैलाकर संस्थाओं को ध्वस्त कर रही है सरकार

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि केंद्र देश में नफरत का माहौल बनाकर संस्थाओं को ध्वस्त कर रही है, जो बहुत खतरनाक है। हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में राहुल गांधी ने कहा कि यह सरकार सुनने में विश्वास नहीं करती और यही देश की सबसे बड़ी समस्या है।

फोटो : @INCIndia
फोटो : @INCIndia हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

केंद्र ने देश में नफरत का माहौल बना रखा है, संस्थाओँ पर कब्जा कर उन्हें ध्वस्त किया जा रहा है, लोगों की बात नहीं सुनी जा रही है, लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, सत्ता का केंद्रीकरण हो गया है। यह कहना है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का। राहुल गांधी ने हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में भारत की पुनर्कल्पना विषय पर बोलते हुए मोदी सरकार के बीते करीब साढ़े चार साल के दौरान देश में पैदा हालात, मीडिया, अदालतों और दूसरी संस्थाओं पर हमले, अनौपचारिक क्षेत्र पर पड़ रही मार, किसानों, छात्रों, दलितों-पिछड़ों के गुस्से, सरकार में संवादहीनता समेत तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी।

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इस सवाल पर कि क्या कांग्रेस उद्योगों और निजी क्षेत्र के खिलाफ है, कांग्रेस अध्यक्ष का जवाब था कि किसी एक क्षेत्र पर ध्यान बाकी क्षेत्रों को नजरंदाज़ करके दिया जाना नुकसानदेह है। उन्होंने कहा कि आप किसी एक व्यक्ति या उद्योग पर फोकस करके देश का विकास नहीं कर सकते। आपको सब पर ध्यान देना होगा। राहुल गांधी ने कहा कि किसानों, दलितों, पिछड़ों और युवाओं की बात सुननी होगी। उनसे संवाद करना होगा, तभी सर्वांगीण विकास हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि किसान निजी क्षेत्र के खिलाफ हैं, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी जाएगी तो वे गुस्सा होंगे।

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कांग्रेस अध्यक्ष ने नोटबंदी का जिक्र करते हुए कहा कि, दुनिया के किसी भी अर्थशास्त्री ने इस फैसले को सही नहीं बताया। इससे देश की प्रगति पटरी से उतरी और जीडीपी को दो फीसदी का नुकसान हुआ, छोटे और मझोले उद्योग धंधे बंद हो गए। उन्होंने कहा कि ऐसा ही जीएसटी के साथ हुआ। राहुल गांधी ने कहा कि वे जीएसटी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन जिस तरह से इसे लागू किया गया उसमें दिक्कतें हैं। उन्होंने कहा कि सवाल यह नहीं है कि मैं जीएसटी से खुश हूं या नहीं, सवाल है कि क्या छोटा उद्योग, दुकानदार और बाकी लोग इस फैसले से खुश हैं।

राहुल गांधी ने आधार को लेकर भी सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि आधार का विचार लोगों को सहूलियत देना उनकी मदद करने के लिए लाया गया था। लेकिन सरकार ने आधार को लोगों पर नजर रखने का जरिया बना लिया। दिक्कत यहां है।

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राहुल गांधी ने सरकार की संवादहीनता का जिक्र करते हुए कहा कि, सरकार समझती है कि वे ही समझदार हैं, वह जो सोचती है वही सही है। ऐसा नहीं है। ऐसे देश नहीं चलता है। सरकार को सबके साथ बात करनी चाहिए, तभी समस्याएं समझने में और उनका हल निकालने में मदद मिलेगी।

इस सवाल पर कि क्या आप सरकार से बात करने के लिए तैयार हैं, कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मैं हमेशा संवाद का पक्षधर रहा हूं और हमेशा सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हूं। उन्होंने एक मिसाल देते हुए कहा कि, “मैंने अरुण जेटली जी से कश्मीर के हालात पर बात की थी और कहा था कि वहां सबकुछ ठीक नहीं है, लेकिन उन्होंने इसे खारिज कर दिया और कहा कि ऐसा कुछ नहीं है, सब ठीक है।” उन्होंने बताया कि इसके बाद कश्मीर में क्या हुआ सबको मालूम है। ऐसे में आप क्या बात करेंगे।“ राहुल गांधी ने कहा कि, “पीडीपी- बीजेपी गठबंधन ने कश्मीर को आग में धकेल दिया।“

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राहुल गांधी ने तीन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत की उम्मीद जताई। जब उनसे पूछा गया कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती द्वारा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के साथ गठबंधन न करने से क्या 2019 पर फर्क पड़ेगा, उन्होंने कहा कि, “बीएसपी ने इन राज्यों में अलग जाने का फैसला किया है और इससे 2019 के लोकसभा चुनावों के गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि मायावती जी ने भी ऐसा संकेत दिया है।“ उन्होंने कहा कि, “विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव के गठबंधन अलग-अलग होते हैं। मायावती जी ने इसका संकेत दिया है। और हम बिना गठबंधन के भी मध्य प्रदेश में जीतेंगे।“

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क्या कांग्रेस नर्म हिंदुत्व (सॉफ्ट हिंदुत्व) का रास्ता अपना रही है, आप क्या धार्मिक हो गए हैं? इस सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि, “मैं पिछले 16 साल से मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों में जाता रहा हूं। तब किसी ने इस पर सवाल नहीं उठाया। सिर्फ गुजरात चुनाव में इसे मुद्दा बनाया गया।” उन्होंने सवाल पूछा कि बीजेपी को इससे दिक्कत क्या है? उन्होंने कहा कि. “हिंदुत्व एक राजनीतिक विचारधारा है, जबकि हिंदू धर्म एक आध्यात्मिक विचार है, इस फर्क को समझना पड़ेगा।”

उन्होंने कहा कि, “मुझे नहीं समझ आता कि मेरे मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा जाने से किसी को क्या आपत्ति हो सकती है। अगर कोई मुझे बुलाता है और मैं नहीं जाता तो उसका अपमान है।“ राहुल गांधी ने कहा कि, “दरअसल मेरे मंगिर जाने से उन्हें गुस्सा आता है। उन्हें लगता है कि हर चीज पर उनका एकाधिकार है, और उन्हें लगता है कि मैं उनके एकाधिकार का उल्लंघन कर रहा हूं।“

राहुल गांधी ने कहा कि, “बीजेपी और आरएसएस देश पर अपनी कल्पना थोपना चाहती है, जबकि भारत तो एक अरब से ज्यादा कल्पनाओं का देश है और उसी से मजबूत होता है।“ उन्होंने कहा कि लोगों को समझना चाहिए कि बीजेपी और आरएसएस एक ही विचारधारा हैं। बीजेपी के पास अपना कोई विचार नहीं है, वह सिर्फ संघ के विचारों से ही चलती है। राहुल गांधी ने कहा कि, “इनकी विचारधारा और देश को लेकर इन विज़न का विरोध करने वाले बहुत से लोग हैं और कांग्रेस इस विरोध का केंद्र है।” उन्होंने बताया कि, “कांग्रेस की अपनी एक विचारधारा है, इसी विचारधारा से हम उनके विचारों से लड़ रहे हैं।“

कांग्रेस के पास बीजेपी और संघ जैसा काडर बेस नहीं है, क्या हाल के दिनों में यह बेस बढ़ा है? इस सवाल पर कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि, “अगर कांग्रेस बीजेपी की तरह काडर बनाएगी तो यह बीजेपी बन जाएगी, इसलिए कांग्रेस ऐसे कार्यकर्ता तैयार करती है जो इसकी विचारधारा को अच्छे से समझते हैं। आरएसएस और बीजेपी किसी भी हद तक जाती है, हम ऐसा नहीं करते हैं, हम देश जोड़ने वाले कार्यकर्ता तैयार करते हैं।“

केंद्र का आरोप है कि बैंकों के एनपीए कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के दौर में बढ़े। इस सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि, “मोदी जी कहते हैं कि सब कुछ उनके आने के बाद हुआ तो एनपीए कैसे हमारे दौर का हो गया।“ उन्होंने कहा कि जब यूपीए ने सत्ता छोड़ी उस वक्त बैंक एनपीए करीब 3 लाख करोड़ के आसपास रहे होंगे, लेकिन आज 12 लाख करोड़ के एनपीए हैं। यह तो उन्हीं की सरकार में हुआ।“

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राहुल गांधी ने बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आज भारत में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है। क्या इसके लिए भी कांग्रेस जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि विजन तीन-चार लोगों के बीच से नहीं आता, इसके लिए लोगों से बात करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार का केंद्रीकरण हो गया है, इसलिए समस्याएं नजर नहीं आती सरकार को। राहुल गांधी ने कहा कि देश में हर विषय के विशेषज्ञ हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। उन्होंने बताया कि, “विशेषज्ञ कहते हैं कि प्रधानमंत्री को हम वही कहते हैं जो वे सुनना चाहते हैं।”

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पड़ोसी देशों, खासतौर से पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर राहुल गांधी ने कहा कि पाकिस्तान में सत्ता के कई केंद्र हैं, और वह विशेष किस्म का पड़ोसी है, उसके लिए अलग से रणनीति बनाने की जरूरत है। उन्होंने पूछा कि, “लेकिन नेपाल, श्रीलंका के साथ बातचीत करने में क्या दिक्कत है। नेपाल पीएम मोदी को पसंद करता था, लेकिन दो महीने में ही उसका मोहभंग हो गया, क्यों?” उन्होंने कहा कि भारत को अपनी विदेश नीति आत्मविश्वास के साथ मजबूती से आगे बढ़ते हुए बनाने की जरूरत है।

इस सवाल पर कि क्या वे प्रधानमंत्री बनेंगे, और कर्नाटक चुनाव के दौरान उन्होंने ऐसा कहा था, राहुल का जवाब था कि, “चुनाव खत्म होने के बाद ही इस बारे में फैसला होगा, मुझे कहा गया तो मैं निश्चित रूप से स्वीकार करूंगा।

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