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रक्षा समिति की बैठक से राहुल गांधी ने किया वॉकआउट, LAC विवाद को चर्चा में शामिल नहीं करने पर लिया फैसला

कांग्रेस नेता ने पिछले साल दिसंबर में भी रक्षा कमेटी की बैठक का वॉकआउट किया था, जब बैठक में सैन्य यूनिफॉर्म पर चर्चा हो रही थी। राहुल गांधी ने टोकते हुए कहा था कि चर्चा इस पर होनी चाहिए कि लद्दाख में हमारी तैयारी क्या है, चीन के खिलाफ हमारी रणनीति क्या है?

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को रक्षा मामलों पर संसद की स्थायी समिति की बैठक से वॉकआउट कर दिया। राहुल गांधी ने बैठक के एजेंडे पर मतभेदों को लेकर वॉकआउट किया। जानकारी के अनुसार राहुल गांधी समिति की बैठक में डोकलाम समेत लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद पर चर्चा चाहते थे, जिसे खारिज कर दिया गया। इसके बाद राहुल गांधी कांग्रेस सांसदों के साथ रक्षा कमेटी की बैठक से बाहर आ गए।

मिली जानकारी के अनुसार रक्षा कमेटी के सामने राहुल गांधी और बाकी कांग्रेस सांसदों ने एलएसी विवाद और चीनी घुसपैठ पर चर्चा करने की मांग उठाई, लेकिन समिति के अध्यक्ष और बीजेपी नेता जुआल ओराम ने इसे अस्वीकार कर दिया। जिसके बाद राहुल गांधी बाकी कांग्रेस सांसदों के साथ बैठक से उठकर चले गए।

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राहुल गांधी ने पिछले साल दिसंबर में भी रक्षा कमेटी की बैठक का वॉकआउट किया था। बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत सैन्य यूनिफॉर्म के बारे में जानकारी दे रहे थे। जिस पर राहुल गांधी ने टोकते हुए कहा था कि चर्चा इस पर होनी चाहिए कि लद्दाख में हमारी तैयारी क्या है, चीन के खिलाफ हमारी रणनीति क्या है? इस पर कमेटी के अध्यक्ष जुआल ओराम ने उन्हें बोलने से रोक दिया तो राहुल गांधी कांग्रेस सांसदों के साथ बैठक से चले गए थे।

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बता दें कि राहुल गांधी पिछले साल लद्दाख के गलवान घाटी में चीन के साथ झड़प में सेना के 20 जवानों की शहादत का मुद्दा लगातार उठाते आ रहे हैं। इसके साथ ही वह डोकलाम में चीनी घुसपैठ और चीन के साथ अन्य सीमा विवाद पर भी लगातार मोदी सरकार की आलोचना करते रहे हैं और उस पर सीमा मुद्दे को सही से नहीं संभालने का आरोप लगाते रहे हैं। राहुल गांधी कह चुके हैं कि पीएम मोदी चीन से डरते हैं, इसलिए कुछ करते नहीं हैं।

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इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी गलवान संघर्ष की बरसी पर बयान जारी किया था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। सोनिया गांधी ने कहा कि एक वर्ष का समय गुजरने के बाद भी इस घटना से जुड़े हालात को लेकर स्पष्टता नहीं है। उन्होंने मांग उठाई कि सरकार देश को विश्वास में ले और यह सुनिश्चित करे कि उसके कदम देश के जवानों की प्रतिबद्धता के अनुकूल रहे हैं।

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