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संसद परिसर में रातभर जारी रहा निलंबित सांसदों का धरना, सुबह चाय लेकर मिलने पहुंचे उपसभापति

सांसद संजय सिंह ने कहा कि उपसभापति जी सुबह धरनास्थल पर मिलने आए हमने उनसे भी कहा कि नियम कानून संविधान को ताक पर रखकर किसान विरोधी काला कानून बिना मतदान के पास किया गया जबकि बीजेपी अल्पमत में थी और आप भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

राज्यसभा से निलंबित आठों सांसदों का धरना संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने रातभर जारी रहा। निलंबन रद्द करने की मांग को लेकर विपक्षी सांसद कल से गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे हुए हैं। आज सुबह राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश धरना दे रहे सांसदों से मिलने चाय लेकर पहुंचे। उन्होंने सांसदों से मुलाकात की। इस दौरान वे धरना दे रहे सांसदों से बात करते हुए दिखे। हालांकि धरना खत्म करने को लेकर कोई बात अब तक सामने नहीं आई।

Published: 22 Sep 2020, 8:52 AM IST

कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा, “हरिवंश जी ने कहा कि वह एक सहयोगी के रूप में हमसे मिलने आए थे, न कि राज्यसभा के उपसभापति के रूप में। वह हमारे लिए कुछ चाय और नाश्ता भी लाए थे। हमने अपने निलंबन के विरोध में कल यह धरना प्रदर्शन शुरू किया। हम पूरी रात यहां रहे हैं।”

Published: 22 Sep 2020, 8:52 AM IST

इस दौरान सांसद संजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, “उपसभापति जी सुबह धरनास्थल पर मिलने आए हमने उनसे भी कहा कि नियम कानून संविधान को ताक पर रखकर किसान विरोधी काला कानून बिना मतदान के पास किया गया जबकि बीजेपी अल्पमत में थी और आप भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।”

Published: 22 Sep 2020, 8:52 AM IST

कृषि विधेयकों पर जोरदार विरोध के दौरान कथित तौर पर उपसभापति से दुर्व्यवहार के आरोप में राज्यसभा से इन 8 सांसदों को एक हफ्ते के लिए सभापति वेंकेया नायडू ने निलंबित कर दिया था। निलंबित सांसदों में डेरेक ओ ब्रायन, संजय सिंह, राजीव साटव, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन और ए करीम के नाम शामिल हैं। निलंबन बाद सभी निलंबित सांसद संसद परिसर में धरने पर बैठ गए हैं। यह सांसद पीछे हटने को तैयार नहीं है।

Published: 22 Sep 2020, 8:52 AM IST

इन सांसदों को अन्य सांसदों का समर्थन भी मिल रहा है। देर शाम धरने पर बैठे निलंबित विपक्षी सांसदों को समर्थन देने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का कृषि बिल किसानों को बर्बाद करने वाला है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में जबरदस्ती यह बिल पास करवाया गया। आजाद ने कहा कि बिल पर डिवीजन मांगा गया था, लेकिन डिवीजन नहीं कराया। जबकि नियम है कि अगर एक सदस्य भी डिवीजन मांगता है, तो डिवीजन करवाया जाता है। लेकिन इसे ऐसे ही पास कर दिया गया, जबकि राज्यसभा में बहुमत इस बिल के खिलाफ था।

Published: 22 Sep 2020, 8:52 AM IST

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Published: 22 Sep 2020, 8:52 AM IST