
केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी की सहयोगी जेडीएस के नेता और कर्नाटक से पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को रेप केस में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उन्होंने अपने खिलाफ रेप के मामले में निचली अदालत में चल रही सुनवाई को दूसरी कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की थी। उन्होंने जज पर पक्षपात का आरोप लगाया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि जिस जज ने प्रज्वल रेवन्ना को एक अन्य रेप केस में दोषी ठहराया है, वह बाकी लंबित मामलों की सुनवाई के दौरान उस फैसले से प्रभावित नहीं होंगे। कोर्ट ने साफ कर दिया कि निचली अदालत के जज पर पक्षपात के आरोप सिर्फ आरोप भर हैं, इनका कोई ठोस आधार नहीं दिखता।
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दरअसल, प्रज्वल रेवन्ना ने यह कहते हुए केस ट्रांसफर करने की मांग की थी कि मौजूदा सेशन कोर्ट के जज उनके खिलाफ भेदभाव कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामला सांसद/विधायक स्पेशल कोर्ट से हटाकर किसी दूसरी सेशन कोर्ट में भेज दिया जाए, लेकिन कर्नाटक हाई कोर्ट ने पहले ही उनकी यह मांग ठुकरा दी थी। इसके बाद वे सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, लेकिन यहां भी उन्हें राहत नहीं मिली।
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गौरतलब है कि प्रज्जवल रेवन्ना को रेप के एक अन्य मामले में सांसद/विधायक स्पेशल कोर्ट पहले ही दोषी ठहरा चुकी है और उन्हें उम्रकैद की सजा भी सुना चुकी है। इसी वजह से उन्होंने दावा किया था कि जिस जज ने उन्हें पहले उम्रकैद दी है, वही जज अन्य मामलों की सुनवाई करते समय निष्पक्ष नहीं रह सकते।
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मगर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका पर भरोसा रखना होगा और ऐसे अंदाजों के आधार पर केस ट्रांसफर नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट से पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना की सुनवाई को दूसरे कोर्ट में ट्रांसफर करने की याचिका खारिज होने के बाद अब उसी सेशन कोर्ट में लंबित मामलों की सुनवाई होगी, जिसमें पहले से चल रही है।
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