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आरबीआई-सरकार विवाद में एस गूरुमूर्ति ने तोड़ी चुप्पी, कहा-अमेरिकी सोच से प्रभावित है रिजर्व बैंक

आरबीआई बोर्ड के सदस्य एस गूरुमूर्ति नेसरकार और रिजर्व बैंक के बीच जारी तनातनी के लिए संकेतों में आरबीआई को हीजिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि आरबीआई में अमेरिकी सोच छाई हुई है, जिसके कारण समस्या हो रही है। 

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया आरबीआई बोर्ड के सदस्य एस गूरुमूर्ति

रिजर्व बैंक और सरकार के बीच जारी तनातनी पर पहली बार आरबीआई बोर्ड के सदस्य एस गुरुमूर्ति ने चुप्पी तोड़ी है। गुरुमूर्ति रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के बोर्ड में सरकार द्वारा नामित नॉन एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार और आरबीआई के बीच जारी तनातनी कोई अच्छी स्थिति नहीं है।

एस गुरुमूर्ति का बयान ऐसे वक्त में आया है जब 19 नवंबर को आरबीआई बोर्ड की बैठक होने वाली है और पूरे देश की निगाहें इस बैठक पर लगी हैं। हाल के दिनों में सरकार और रिजर्व बैंक के बीच कई मुद्दों पर गतिरोध उभरकर सामने आया है। इनमें आरबीआई की खुद की पूंजी से संबंधी नियम और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी क्षेत्र के लिए कर्ज की उपलब्धता के नियम उदार करने से जुड़े मुद्दे भी शामिल हैं।

दिल्ली में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में एस गुरुमूर्ति ने कहा कि सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच गतिरोध का होना कोई अच्छी स्थिति नहीं है। उन्होंने कहा कि डूबे कर्ज के लिए एक झटके में सख्त प्रावधान के नियमों से भी बैंकिंग सिस्टम के सामने समस्या खड़ी हुई है।

गुरुमूर्ति ने कहा कि भारत को बेसल कैपिटल एडिक्वेसी नॉर्म्स में बताए गए नियमों से आगे नहीं जाना चाहिए और एमएसएमई सेक्टर यानी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए क्रेडिट बढ़ाने की ओर ध्यान देना चाहिए।

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ध्यान रहे कि यह खबरें भी आई थीं कि हाल ही में रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी और दोनों पक्ष तनातनी को आपसी सहमति से सुलझाने पर सहमत हुए थे। यह खबरें भी थीं कि सरकार आरबीआई से उसके कैश सरप्लस में से करीब 3.6 लाख करोड़ रुपए चाहती है ताकि उससे वित्तीय घाटे की खाई पाटी जा सके और कुछ पैसा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में लगाया जा सके। ऐन चुनाव से पहले सरकार के लिए ऐसा करना एक तरह से लाजिमी सा हो गया है।

वहीं सूत्रों का कहना है कि सरकार के खजाने में पैसे की तंगी इसलिए है, क्योंकि जीएसटी से आने वाले राजस्व में गिरावट दर्ज की गई है।

आरबीआई से सरकार के विवाद पर टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य सुरजीत भल्ला ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि आरबीआई एक ऐसी मौद्रिक नीति कमेटी चलाती है जो कि अमेरिका के लिए फिट है।

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