राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर द्वारा लोकसभा में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को निराधार करार देते हुए कहा कि इन टिप्पणियों से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। खड़गे ने बीजेपी सांसद को यह चुनौती भी दी कि वह उन पर लगाए गए अपने आरोपों को साबित करें या फिर सदन से इस्तीफा दें।
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दरअसल अनुराग ठाकुर ने एक दिन पहले लोकसभा में कहा था कि कर्नाटक में कई कांग्रेसी नेताओं पर वक्फ की संपत्तियां में भ्रष्टाचार करने का आरोप है। उन्होंने दावा किया कि इसमें मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम भी सामने आया था। हालांकि जैसे ही अनुराग ठाकुर ने खड़गे का नाम लिया तुरंत सदन में हंगामा शुरू हो गया। इसके बाद ठाकुर को अपनी टिप्पणी वापस लेनी पड़ी। मल्लिकार्जुन खड़गे ने ठाकुर से इसी टिप्पणी के लिए माफी की मांग की है।
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राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस सदस्यों के हस्तक्षेप के कारण बीजेपी सांसद को निचले सदन में वक्फ़ विधेयक पर बहस के दौरान की गई अपनी अपमानजनक टिप्पणी वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। खड़गे ने कहा, ‘‘लेकिन नुकसान तो हो चुका है।’’ कांग्रेस अध्यक्ष ने मांग की कि इस मुद्दे पर ठाकुर के साथ-साथ राज्यसभा में सदन के नेता जे पी नड्डा को भी माफी मांगनी चाहिए।
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खड़गे ने कहा, ‘‘मेरा करीब 60 साल का राजनीतिक जीवन एक खुली किताब की तरह है। कल अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में मुझ पर पूरी तरह झूठे और निराधार आरोप लगाए। जब मेरे सहयोगियों ने उन्हें चुनौती दी, तो उन्हें अपनी अपमानजनक टिप्पणी वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन नुकसान तो हो चुका है।’’ उन्होंने कहा कि अनुराग ठाकुर के टिप्पणी वापस लेने के बावजूद, मीडिया और विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर यह मुद्दा छाया रहा।
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खड़गे ने कहा, ‘‘मैं आज अनुराग ठाकुर के बेबुनियाद आरोपों की निंदा करने के लिए मजबूर हूं। मैं सदन के नेता से माफी की उम्मीद करता हूं, कम से कम इतना तो सत्तारूढ़ पार्टी कर ही सकती है और उसे यह करना चाहिए।’’ उन्होंने ठाकुर को अपने आरोप साबित करने की चुनौती देते हुए कहा कि अगर बीजेपी सांसद अपने आरोपों को साबित नहीं कर सकते, तो उन्हें संसद में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर आरोप साबित हो जाते हैं, तो मैं इस्तीफा दे दूंगा। खड़गे के इतना कहने के बाद विपक्षी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गए।
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