
एअर इंडिया विमान दुर्घटना के दिवंगत पायलट सुमित सबरवाल के पिता पुष्कर राज सबरवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने हादसे की निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की मांग की है। शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र सरकार और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) को नोटिस जारी करते हुए चार हफ्तों में जवाब मांगा है।
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याचिका में कहा गया है कि हादसे की जांच अब तक निष्पक्ष तरीके से नहीं हुई है। तकनीकी खामियों को नजरअंदाज कर जांच एजेंसियां सारा दोष पायलटों पर डालने की कोशिश कर रही हैं। पुष्कर राज सबरवाल ने कहा कि इस तरह की रिपोर्ट्स न केवल भ्रामक हैं बल्कि मृत पायलटों के सम्मान को भी ठेस पहुंचा रही हैं।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने 91 वर्षीय पिता से कहा कि उन्हें इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि उनके बेटे को दोषी ठहराया जा रहा है। “प्रारंभिक जांच में ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं निकला है, विदेशी मीडिया में जो प्रकाशित हुआ है, वह गलत है,” कोर्ट ने स्पष्ट किया।
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कोर्ट ने यह भी कहा कि इस याचिका को पहले से लंबित दूसरी याचिका के साथ सुना जाएगा। अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी। इससे पहले, 22 सितंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एअर इंडिया क्रैश रिपोर्ट के चुनिंदा हिस्से सार्वजनिक करने पर नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि जांच पूरी होने से पहले किसी भी तरह की जानकारी सार्वजनिक करना अनुचित है, क्योंकि इससे जांच की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।
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यह हादसा 12 जून 2025 को हुआ था। अहमदाबाद हवाई अड्डे से लंदन जा रहा एअर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही मेघाणी नगर इलाके में एक मेडिकल कॉलेज की मैस पर जा गिरा। उस समय वहां छात्र लंच कर रहे थे।
इस भीषण हादसे में पायलट, को-पायलट, क्रू मेंबर्स और यात्रियों समेत कुल 241 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे में सिर्फ एक यात्री जिंदा बच पाया था। हादसे में मेडिकल कॉलेज के 19 लोगों की भी जान चली गई थी।
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कुछ विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि विमान के कॉकपिट में आखिरी बातचीत के दौरान एक पायलट ने पूछा-
“फ्यूल क्यों कट-ऑफ किया?”
जिस पर दूसरे पायलट ने जवाब दिया, “मैंने नहीं किया।”
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसी रिपोर्ट्स अधूरी और भ्रामक हैं, क्योंकि जांच रिपोर्ट का पूरा निष्कर्ष अभी सामने नहीं आया है।
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अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई 10 नवंबर को करेगा। तब तक केंद्र और DGCA को अपने जवाब दाखिल करने होंगे। कोर्ट ने यह भी संकेत दिए कि वह चाहेगा कि इस हादसे की संपूर्ण जांच तकनीकी और संचालनिक पहलुओं को ध्यान में रखकर की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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