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'देश को बहुसंख्यकों की इच्छा' से चलाने की वकालत करने वाले जस्टिस यादव के बयान का सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के भाषण का संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में कहा है कि इस बाबत सारी जानकारियां मंगाई गई है और मामले पर विचार किया जाएगा।

फोटो सौजन्य : @LiveLawIndia
फोटो सौजन्य : @LiveLawIndia 

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के उस भाषण का सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है, जो उन्होंने विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में दिया था। भाषण में जस्टिस यादव ने काफी आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा था कि इस देश में सबकुछ बहुसंख्यकों की इच्छा के मुताबिक ही चलेगा। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र भेजकर जस्टिस यादव के खिलाफ शिकायत की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस संबंध में हाई कोर्ट से विवरण और जानकारी मांगी गई है। यह मामला अभी विचाराधीन है।

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दरअसल उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित इलाहाबाद हाई कोर्ट के लाइब्रेरी हॉल में जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान पर कैंपेन फॉर ज्यूडीशियल एकाउंटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखा था। पत्र में जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान की जांच की मांग की गई थी।

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अब सुप्रीम कोर्ट के बयान में कहा गया है कि कोर्ट ने अखबारों में प्रकाशित रिपोर्ट का संज्ञान लिया है और इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस मामले की पूरी जानकारी मांगी है। जस्टिस यादव ने 8 दिसंबर को हुए कार्यक्रम में कहा था कि उन्हें , ‘यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि देश बहुसंख्यकों की इच्छा के मुताबिक ही चलेगा।’ उन्होंने कहा था कि, ‘सिर्फ बहुसंख्यों का हित और कल्याण ही स्वीकार्य होगा।’

इलाहाबाद हाईकोर्ट के लाइब्रेरी हॉल में आयोजित विश्व हिंदू परिषद के इस कार्यक्रम में कईसारे वकील और पूर्व शामिल हुए थे। जस्टिस यादव ने अपने भाषण में कई आपत्तिजनक बातें भी कही थीं. उन्होंने कहा था, “हिंदू समाज ने तो अस्पृश्यता (छुआछूत) और सती जैसी कुप्रथाओं को खत्म कर दिया है, लेकिन मुसलमानों में एक से ज्यादा पत्नियां रखना, तीन तलाक और हलाला की प्रथा अभी भी कायम है।” उन्होंने आगे कहा था, “यह एक एतिहासिक लाइब्रेरी है जहां महान विभूतियां रही हैं। मैं उनके सामने बोल रहा हूं, सिर्फ कह नहीं रहा हूं। मैं शपथ लेता हूँ कि यह देश निश्चित रूप से एक ही कानून (यूनीफार्म सिविल कोड) से चलेगा और यह जल्द ही होगा।”

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जस्टिस यादव ने कहा था, “हिंदू शास्त्रों में महिलाओं को देवी माना जाता है, लेकिन मुसलमान महिलाओं की इज्जत नहीं करते हैं।” उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने भी यूनीफार्म सिविल कोड का समर्थन किया है। वे यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा कि, “हिंदू सिर्फ वही नहीं है जो गंगा में डुबकी लगाए और माथे पर चंदन लगा ले, बल्कि गहर वह व्यक्ति जो इस देश मां समझता है और इसके लिए प्राण दे सकता है, वह हिंदू है, भले ही वह कुरान या बाइबिल का मानने वाला ही क्यों न हो।”

बता दें कि जस्टिस यादव पूर्व में काफी विवादास्पद रहे हैं। उन्होंने ही कहा था कि संसद को ऐसा कानून बनाना चाहिए जिसे राम, कृष्ण, रामायण और गीता को भारतीय विरासत का अभिन्न अंग माना जाए। इसके अलावा उन्होंने ही कहा था कि वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया है कि गाय एकमात्र ऐसा पशु है जो सांस लेने पर ऑक्सीजन छोड़ती है। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि गाय के दूध, दही और गौमूत्र से बना पंचगव्य कई खतरनाक बीमारियों के इलाज में काम आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि हिंदुत्व के मुताबिक गाय में 33 प्रकार के देवी देवता का वास होता है और भगवान कृष्ण अपना सारा ज्ञान गाय के चरणों से ही हासिल किया था।

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