कर्नाटक हाई कोर्ट में दाखिल की गई सरकार की एक रिपोर्ट ने एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ की घटना को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 3 जून को हुई इस घटना में आरसीबी (रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु), आयोजक डीएनए, और केएससीए (कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ) की ओर से अनुमति प्रक्रिया और भीड़ नियंत्रण में भारी लापरवाही बरती गई।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोजकों ने 2009 के सिटी ऑर्डर के बावजूद बिना पूर्व अनुमति के ही 3 जून को विक्ट्री परेड आयोजित करने की योजना बनाई। पुलिस को सिर्फ जानकारी दी गई, लेकिन औपचारिक अनुमति नहीं मांगी गई, जिसके चलते पुलिस ने आयोजन को अधिकृत रूप से मंजूरी नहीं दी।
इसके बावजूद, आरसीबी ने 4 जून को अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर 'फ्री एंट्री' के साथ विराट कोहली का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने प्रशंसकों को बड़ी संख्या में आने का आह्वान किया।
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करीब तीन लाख लोग स्टेडियम के बाहर जमा हो गए। यह संख्या आयोजन की क्षमता से कई गुना अधिक थी। रिपोर्ट बताती है कि दोपहर 3:14 बजे आयोजकों ने अचानक घोषणा कर दी कि स्टेडियम में प्रवेश के लिए पास अनिवार्य होगा। इससे भीड़ में भ्रम, हड़बड़ी और दहशत फैल गई।
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गेट्स समय पर न खुलने और समन्वय की कमी के चलते स्टेडियम के बाहर हालात बेकाबू हो गए। भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और सात पुलिसकर्मी घायल हो गए। रिपोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि आयोजकों के बीच कोई समन्वय नहीं था और भीड़ नियंत्रण की कोई पुख्ता योजना मौजूद नहीं थी।
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सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि सीसीटीवी फुटेज, आयोजकों और सुरक्षा कर्मियों के बयानों के आधार पर विस्तृत जांच की जा रही है। हाई कोर्ट ने सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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आरसीबी की यह परेड आईपीएल 2025 जीत की खुशी में आयोजित की गई थी, जब टीम ने पंजाब किंग्स को हराकर पहली बार खिताब जीता था। लेकिन यह जीत की खुशी सिर्फ एक दिन बाद मातम और लापरवाही की मिसाल बन गई।
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