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खतरे में फडणविस की सरकार, अजित पवार को झटका, विधानसभा सचिवालय ने जयंत पाटिल को माना NCP विधायक दल का नेता

अपनी पार्टी एनसीपी को धोखा देकर बीजेपी से हाथ मिलाने वाले अजित पवार को करारा झटका लगा है। विधानसभा सचिवालय ने जयंत पाटिल को एनसीपी विधायक दल का नेता मान लिया है और अब उनका व्हिप ही विधानसभा में मान्य होगा।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

महाराष्ट्र की राजनीति में पल-पल नए ट्विस्ट आ रहे हैं। एक न्यूज चैनल की खबर के मुताबिक दो दिन पहले डिप्टी सीएम बने अजित पवार को करारा झटका लगा है क्योंकि विधानसभा सचिवालय ने एनसीपी के पत्र के आधार पर जयंत पाटिल को एनसीपी विधायक दल का नेता मान लिया है। एनसीपी ने अजित पवार के डिप्टी सीएम की शपथ लेते ही उन्हें पार्टी के विधायक दल के नेता के पद हटा दिया था और जयंत पाटिल को नया नेता चुना था।

हालांकि इससे पहले एनसीपी विधायक दल की बैठक में अजित पवार को नेता चुना गया था और इसी आधार पर उन्होंने रात के अंधेरे में बीजेपी से हाथ मिलाकर सरकार बना ली थी और डिप्टी सीएम बन गए थे। लेकिन इसके बाद तेजी से घटे राजनीतिक घटनाक्रम में एनसीपी के सारे विधायक शरद पवार के खेमे में वापस आ गए और अजित पवार को विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया गया था। इसके अलावा एनसीपी ने सारे अधिकार पार्टी प्रमुख शरद पवार और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को दे दिए थे।

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ध्यान रहे कि सोमवार शाम शिवसेना-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-कांग्रेस के 'महा विकास आघाड़ी' ने राज्य में सरकार बनाने के लिए अपना दावा पेश कर दिया था। एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने बताया कि तीन दलों के नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने राजभवन गया था, क्योंकि राज्य में मौजूदा सरकार निश्चित रूप से गिरने वाली है।

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एनसीपी विधायक दल के नए नेता जयंत पाटिल को शरद पवार के बेहद करीबी नेताओं में शुमार किया जाता है और वे महाराष्ट्र की राजनीति में जाना-माना नाम हैं। पाटिल इस्लामपुर वालवा विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। वे पृथ्वीराज चव्हाण सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री रहे हैं। इसके अलावा वे वित्त मंत्री और गृह मंत्री भी रह चुके हैं।

जयंत पाटिल एक बड़े राजनीतिक परिवार से हैं। उनके पिता राजाराम बापू पाटिल 1962 से 1970 और 1978 में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रहे हैं। 1984 में राजाराम के अचानक निधन के बाद जयंत पाटिल को वापस स्वदेश आना पड़ा। स्वदेश आने पर जयंत ने भी राजनीति में कदम रखा।

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