महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों के नतीजे आने के करीब दो सप्ताह बाद भी सरकार बनने को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणविस ने सोमवार को बीजेपी अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की, लेकिन सरकार गठन को लेकर कोई संकेत सामने नहीं आया। इस बीच शिवसेना ने इस पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के सलाहकार किशोर तिवारी ने इस सिलसिले में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर दखल देने की मांग की है। बेहद प्राथमिकता वाले इस पत्र में तिवारी ने संघ प्रमुख से आग्रह किया है कि वे सरकार गठन को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मध्यस्थता कराएं, ताकि बीजेपी और शिवसेना के बीच जारी विवाद का आम सहमति से हल निकल सके।
Published: 04 Nov 2019, 5:24 PM IST
किशोर तिवारी ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया कि, “हमने मांग की है कि बीजेपी इस मामले में शिवसेना के साथ बातचीत के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को नियुक्त करे। हमें भरोसा है कि गडकरी न सिर्फ गठबंधन धर्म का सम्मान करेंगे. बल्कि सिर्फ दो घंटे में मामला सुलझा देंगे।”
किशोर तिवारी ने दावा किया कि एक बार गतिरोध टूट गया तो शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को पहले 30 महीनों के लिए मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। इसके बाद बीजेपी जिसे चाहे अगले 30 महीने के लिए अपना मुख्यमंत्री बना सकती है। किशोर तिवारी ने कहा, “बीजेपी और शिवसेना में मौजूदा माहौल देखकर कहा जा सकता है मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणविस व्यक्तिवादी हैं और उनके काम करने का तरीका अलग है। दूसरी तरफ राजनीतिक तौर पर मंझे हुए नितिन गडकरी को अगर महाराष्ट्र भेजा जाता है तो वे न सिर्फ दोनों दलों का संयुक्त एजेंडा हिंदुत्व और विकास दोनों पर काम करेंगे।”
Published: 04 Nov 2019, 5:24 PM IST
संघ ने तिवारी के पत्र पर क्या जवाब दिया है, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन संघ ने अपने मुखपत्र तरुण भारत में प्रकाशित एक संपादकीय के जरिए शिवसेना सांसद संजय राउत को जवाब दिया गया है। संपादकीय में उन्हें झूठा, घुल और जोकर कहते हुए शेख चिल्ली तक की संज्ञा दी गई है।
गौरतलब है कि तिवारी का पत्र ऐसे समय में सामने आया है जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणविस बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से और एनसीपी प्रमुख शरद पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर महाराष्ट्र के मामले पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। इसके अलावा शिवसेना नेता संजय राउत राज्यपाल बी एस कोश्यारी से मिलकर राज्य में बने राजनीतिक गतिरोध को खत्म कराने का आग्रह करने वाले हैं।
Published: 04 Nov 2019, 5:24 PM IST
दरअसल बीजेपी के लिए मामला सिर्फ महाराष्ट्र भर का नहीं है, बात उससे आगे भी जाती है। बीजेपी राजनीतिक तौर पर दूसरे सबसे महत्वपूर्ण राज्य में गैर-बीजेपी मुख्यमंत्री नहीं रखना चाहती, खासतौर से ऐसे वक्त में जब सुप्रीम कोर्ट अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाला है। उसे इस बात का एहसास है कि शिवसेना राम मंदिर मुद्दे को बड़े पैमाने पर भुना सकती है।
दूसरा कारण है कि अगर बीजेपी महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद छोड़ती है, तो इससे झारखंड के आगामी विधानसभा चुनावों पर असर पड़ सकता है। झारखंड में इसी माह 30 तारीख से चुनाव है। वहीं कुछ अन्य राज्यों में भी अगले साल चुनाव होने वाला है जिनमें दिल्ली और बिहार भी शामिल हैं।
Published: 04 Nov 2019, 5:24 PM IST
दूसरी तरफ कांग्रेस और एनसीपी महाराष्ट्र के मामले में काफी सतर्कता बरत रहे हैं। हालात पर गहरी नजर रखते हुए दोनों दल आने वाले समय में अपने पत्ते खोलेंगे। हालांकि कांग्रेस के कुछ खेमों से आवाज़े उठ रही हैं कि कांग्रेस को सरकार के लिए शिवसेना का न समर्थन लेना चाहिए और न ही उसे समर्थन देना चाहिए। ऐसी आवाजों में कांग्रेस नेता संजय निरुपण की आवाज सबसे ज्यादा मुखर है। उधर एनसीपी में भी वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाए जाने की सलाह दी जा रही है।
Published: 04 Nov 2019, 5:24 PM IST
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Published: 04 Nov 2019, 5:24 PM IST