दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्कूलों में बम की धमकी जैसी आकस्मिक स्थितियों से निपटने के लिए एक व्यापक तंत्र तैयार करने में विफलता का आरोप लगाने वाली एक याचिका पर बृहस्पतिवार को सरकार के मुख्य सचिव और राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति अनीश दयाल ने इसे एक गंभीर मुद्दा बताया और कहा कि इस पर प्राधिकारियों को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है, विशेषकर तब जब फर्जी कॉल आना बहुत आम बात हो गई है और इससे बच्चे, उनके अभिभावक और स्कूल परेशान हो रहे हैं।
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न्यायमूर्ति दयाल के समक्ष दायर याचिका में दावा किया गया कि प्राधिकारी न्यायालय के 14 नवंबर 2024 के आदेश की अवमानना कर रहे हैं, जिसमें उन्हें ऐसे मामलों से निपटने के लिए विस्तृत मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के साथ एक व्यापक कार्य योजना विकसित करने का निर्देश दिया गया था।
निर्देश में सरकारी एजेंसियों और पुलिस को निर्देश जारी होने के आठ सप्ताह के भीतर तंत्र विकसित करने की आवश्यकता बताई गई थी।
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अदालत ने बृहस्पतिवार को मामले पर अद्यतन जानकारी मांगी और अगली सुनवाई की तारीख 19 मई तय की। अदालत ने तब सरकार और पुलिस अधिकारियों को उपस्थित रहने के लिए कहा।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता अर्पित भार्गव ने अपनी याचिका में राजधानी के स्कूलों को बार-बार बम धमकी वाले ई-मेल मिलने के संबंध में दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस की निष्क्रियता और लापरवाही का आरोप लगाया।
उन्होंने दावा किया कि आठ सप्ताह की अवधि 14 जनवरी, 2025 को समाप्त हो गई, लेकिन अदालत के आदेश के अनुरूप किसी विस्तृत कार्य योजना या एसओपी के निर्माण या कार्यान्वयन के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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