बिहार में चल रहे सियासी घमासान के बीच सत्ता परिवर्तन की अटकलों का दौर जारी है। ऐसी चर्चा है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की JDU खुद को BJP की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग कर सकती है। अगर नीतीश कुमार बीजेपी से अलग हो जाते हैं तो ऐसी हालत में क्या होगा ?
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आरजेडी - 79 (अनंत सिंह की सदस्यता खत्म )
कांग्रेस - 19
CPI( ML) - 12
CPM- 02
CPI - 02
जीतन राम मांझी - 04
जेडीयू - 45
बीजेपी - 77
निर्दलीय -01
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बिहार में 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। तब से अब तक तस्वीर बदली है। 243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सीटें जरूरी हैं। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के 45 विधायक हैं तो वहीं आरजेडी के पास 79। ऐसे में नीतीश कुमार, एनडीए से अलग होते है तो बिहार में महागठबंधन की सरकार बन सकती है।
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अगर नीतीश कुमार आरजेडी से हाथ मिला लेते हैं तो बिहार में विपक्ष के तौर पर बीजेपी अकेली पड़ सकती है। विधानसभा में एनडीए का कोई दूसरा सहयोगी दल शायद ही बचे। इसका सबसे बड़ा खामियाजा बीजेपी को अगले लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार से एनडीए के कुल 39 (बीजेपी - 17, जेडीयू - 16, लोजपा - 6) सांसद जीतकर आए थे। बिहार की 40 में से केवल एक किशनगंज की सीट एनडीए हारा था और यह सीट कांग्रेस के हाथ लगी थी। 2014 में बीजेपी ने बिहार से 19 सीटों पर जीत हासिल की थी। बीजेपी की सहयोगी पार्टियों को मिलाकर एनडीए को 40 में से 31 सीटें मिली थीं।
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