कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से दिए गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को "बासी, नीरस और चिंताजनक" करार दिया है। उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर एक विस्तृत पोस्ट में प्रधानमंत्री के भाषण पर कई गंभीर सवाल उठाए और इसे जनता को गुमराह करने वाला बताया।
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जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने एक बार फिर ‘विकसित भारत’, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ जैसे पुराने नारों को दोहराया, जबकि इन वादों के ठोस परिणाम आज तक नजर नहीं आते।
उन्होंने खास तौर पर ‘मेड-इन-इंडिया सेमीकंडक्टर चिप’ योजना का जिक्र करते हुए कहा कि यह वादा अनगिनत बार किया जा चुका है, लेकिन धरातल पर कोई उपलब्धि नहीं है। उन्होंने याद दिलाया कि भारत का पहला सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स चंडीगढ़ में 1980 के दशक की शुरुआत में ही बन चुका था, इसलिए इस योजना को नई उपलब्धि बताना एक “झूठ” है।
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जयराम रमेश ने कहा कि किसानों की सुरक्षा पर पीएम के दावे अविश्वसनीय और खोखले हैं, क्योंकि उन्होंने तीन “काले कृषि कानून” लाने की कोशिश की थी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अब तक एमएसपी की कानूनी गारंटी, लागत पर 50 फीसदी लाभ जोड़कर एमएसपी तय करने का नियम, और किसानों का कर्ज माफ करने जैसी घोषणाएं नहीं हुईं।
रोजगार सृजन पर प्रधानमंत्री की बात को भी उन्होंने “खाली रस्म” बताया, जिसमें कोई ठोस रोडमैप नहीं है।
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जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वह एक ओर एकता, समावेशिता और लोकतंत्र की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने में खुद भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता द्वारा चुनावी प्रक्रिया की साख पर उठाए गए गंभीर सवालों का जवाब आज तक पीएम ने नहीं दिया है।
उन्होंने बिहार में मतदाता सूची के ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन’ (SIR) के तहत लाखों मतदाताओं को सूची से हटाए जाने का भी मुद्दा उठाया।
सबसे तीखा हमला जयराम रमेश ने इस बात पर किया कि प्रधानमंत्री ने लाल किले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का नाम लिया, जिसे उन्होंने एक “संवैधानिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य की भावना का उल्लंघन” बताया। रमेश के अनुसार, यह कदम संघ को खुश करने की कोशिश है, क्योंकि 4 जून 2024 के बाद कमजोर हो चुके प्रधानमंत्री अब मोहन भागवत की मदद पर निर्भर हैं ताकि सितंबर के बाद अपना कार्यकाल बढ़ा सकें।
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अपने पोस्ट के अंत में जयराम रमेश ने लिखा, "आज प्रधानमंत्री थके हुए लगे। जल्द ही वह रिटायर होंगे।"
जयराम रमेश का कहना है कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री को देश के सामने ईमानदारी से आर्थिक संकट, बेरोजगारी और बढ़ती असमानता पर चर्चा करनी चाहिए थी, लेकिन इसके बजाय भाषण “आत्म-प्रशंसा और चुनिंदा कहानियों” का मिला-जुला रूप था।
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