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निमिषा प्रिया मामले पर बयान देने पर रोक लगाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत

याचिकाकर्ता ने दावा किया कि प्रिया ने मामले में मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कानूनी हस्तक्षेप का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इस समय मामले में बातचीत जारी है और कुछ लोग गलत बयानबाजी कर रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

सुप्रीम कोर्ट ने हत्या के मामले में यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मामले में व्यक्तियों, संगठनों और अन्य लोगों को ‘‘असत्यापित सार्वजनिक बयान’’ देने से रोकने के वास्ते निर्देश देने के अनुरोध संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए शुक्रवार को सहमति व्यक्त की।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका की एक प्रति अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी के कार्यालय को सौंपे।

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पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 25 अगस्त के लिए स्थगित कर दी। व्यक्तिगत रूप से पेश हुए याचिकाकर्ता के. ए. पॉल ने कहा कि उन्हें प्रिया से एक ‘‘चौंकाने वाला पत्र’’ मिला था और वह पिछले कई दिन से यमन में थे।

पीठ ने पॉल से पूछा, ‘‘उसकी मां उसकी देखभाल कर रही है, आप चिंतित क्यों हैं?’’ याचिकाकर्ता ने कहा कि पत्र पर प्रिया और उसकी मां के हस्ताक्षर थे।

उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष एक शांतिदूत के रूप में मेरा सम्मान करते हैं। वर्ष 1992 से मैं यमन जाता रहा हूं। वहां की समस्या युद्ध है। समस्या यह है कि वह फंस गई थी और वह एक पीड़ित थी।’’

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याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर पीड़ित परिवार, हूती नेतृत्व और अन्य लोगों से बात की है।

उन्होंने दावा किया कि प्रिया ने मामले में मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए कानूनी हस्तक्षेप का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि इस समय मामले में बातचीत जारी है और कुछ लोग गलत बयानबाजी कर रहे हैं।

पीठ ने कहा कि इस याचिका को ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ नामक संगठन द्वारा दायर एक लंबित याचिका के साथ संलग्न किया जायेगा, जो प्रिया को कानूनी सहायता प्रदान कर रहा है।

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पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा, ‘‘आप और क्या चाहते हैं? आप केवल एक नोटिस प्राप्त कर सकते हैं और उस मामले से जुड़ सकते हैं जो यहां लंबित है।’’

सुप्रीम कोर्ट को 14 अगस्त को सूचित किया गया था कि यमन में हत्या के आरोप में मौत की सजा पाने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को ‘‘तत्काल कोई खतरा नहीं’’ है।

शीर्ष अदालत उस समय एक अलग याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र को केरल के पलक्कड़ की 38 वर्षीय नर्स को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी कारोबारी साथी की हत्या का दोषी ठहराया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट को पिछले महीने अवगत कराया गया था कि 16 जुलाई को होने वाली प्रिया की फांसी पर रोक लगा दी गई है।

केंद्र ने 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रयास जारी हैं और सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है कि प्रिया सुरक्षित रहे।

प्रिया को 2017 में दोषी ठहराया गया था, 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उसकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई।

वह यमन की राजधानी सना की एक जेल में कैद है।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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