सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस फाउंडेशन द्वारा गुजरात के जामनगर में स्थापित किए गए वनतारा (ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर) के मामलों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया है।
एसआईटी इस मामले में अन्य पहलुओं के अलावा यह भी जांच करेगी कि वनतारा में भारत और विदेशों से जानवरों, खासतौर से हाथियों को लाए जाने या उनका अधिग्रहण किए जाने में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और दूसरे प्रासंगिक कानूनों के प्रावधानों का पालन हुआ है या नहीं।
इस एसआईटी की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर करेंगे। इनके अलावा उत्तराखंड और तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राघवेंद्र चौहान, मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर हेमंत नागराले और एडीशनल कमिश्नर (कस्टम्स) आईआरएस अनीश गुप्ता इस एसआईटी के सदस्य होंगे।
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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने एक वकील सी आर जया सुकिन की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इस बाबत आदेश जारी किया। याचिका में वनतारा की कार्यप्रणाली समेत कई किस्म के आरोप लगाए गए हैं।
बेंच ने आदेश में कहा कि हालांकि याचिका में आरोपों से संबंधित कोई सामग्री नहीं दी दी गई है और सिर्फ आरोप लगाए गए हैं, और आमतौर पर ऐसी याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन कोर्ट ने आगे यह भी कहा कि, "चूंकि इन आरोपों के मद्देनज़र यह भी कहा गया है कि वैधानिक प्राधिकारी या अदालतों की इस मामले में अपने आदेश का पालन करने के लिए या तो कोई इच्छा नहीं है या वे असमर्थ हैं, खासतौर से किसी भी तथ्य की सत्यता की कमी है, (ऐसे में) हम न्याय की दृष्टि से एक स्वतंत्र तथ्यात्मक मूल्यांकन की मांग करना उचित समझते हैं जो कथित उल्लंघन, अगर कोई हुआ है, को स्थापित कर सकें। इसलिए, हम बेदाग़ निष्ठा और उच्च प्रतिष्ठा वाले ऐसे सम्मानित व्यक्तियों, जिनकी सार्वजनिक सेवा लंबी हो, का एक विशेष जांच दल ('एसआईटी') के गठन का निर्देश देना उचित समझते हैं।"
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एसआईटी अन्य बातों के साथ-साथ जांच करेगी और रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी कि:
भारत और विदेश से पशुओं, विशेष रूप से हाथियों का अधिग्रहण किस तरह किया गया है
वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 और उसके अंतर्गत चिड़ियाघरों के लिए बनाए गए नियमों का पालन हुआ है या नहीं
वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (सीआईटीईएस) और जीवित पशुओं के आयात/निर्यात से संबंधित आयात/निर्यात कानूनों और अन्य वैधानिक आवश्यकताओं का पालन हुआ है या नहीं
पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल, पशु कल्याण के मानकों, मृत्यु दर और उसके कारणों के नियमों का पालन हो रहा है या नहीं
जलवायु परिस्थितियों से संबंधित शिकायतें और औद्योगिक क्षेत्र के निकट स्थान से संबंधित आरोप की जांच करेगी
वैनिटी या निजी संग्रह, प्रजनन, संरक्षण कार्यक्रमों और जैव विविधता संसाधनों के उपयोग से संबंधित शिकायतों की जांच की जाएगी
जल और कार्बन क्रेडिट के दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है
याचिका में लगाए आरोपों से संबंधित कानून के विभिन्न प्रावधानों के उल्लंघन, पशुओं या पशु उत्पादों के व्यापार, वन्यजीव तस्करी आदि की शिकायतों और याचिका में बताए गए लेखों आदि का संदर्भ लेकर जांच की जाएगी
आर्थिक नियमों का पालन और मनी लॉन्ड्रिंग आदि से जुड़ी शिकायतों की जांच होगी
याचिका में लगाए गए आरोपों से संबंधित किसी अन्य विषय, मुद्दे या मामले से संबंधित शिकायतें की जांच होगी।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस एसआईटी को जांच में केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, सीआईटीईएस प्रबंधन प्राधिकरण, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, और गुजरात राज्य, जिसमें उसके वन एवं पुलिस विभाग भी शामिल हैं, द्वारा पूरी सहायता और सहयोग दिया जाना चाहिए।
अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि इस आदेश को याचिका नहीं माना जाना चाहिए और न ही इस आदेश को किसी भी वैधानिक प्राधिकरण या 'वंतारा' की कार्यप्रणाली पर संदेह उत्पन्न करने वाला माना जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसने आरोपों के गुण-दोष पर कुछ भी व्यक्त नहीं किया है और एसआईटी जांच केवल एक सच्चाई सामने लाने या तथ्य सामने लाने की प्रक्रिया है। एसआईटी को अपनी रिपोर्ट 12 सितंबर, 2025 तक सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी होगी।
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