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आईफोन, लैपटॉप और फ्रिज खरीदने के लिए पर्यावरण निधि का इस्तेमाल किया गया? सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब

आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और कार्यालय नवीनीकरण की कथित अनधिकृत खरीद के अलावा निधि का कथित तौर पर इस्तेमाल अदालती मामलों से लड़ने और व्यक्तिगत खर्चों के लिए भी किया गया था।

उत्तराखंड विधानसभा से समान नागरिक संहिता विधेयक पास
उत्तराखंड विधानसभा से समान नागरिक संहिता विधेयक पास फोटोः IANS

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार द्वारा आईफोन तथा अन्य वस्तुएं खरीदने के लिए प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) निधि के कथित दुरुपयोग को लेकर बुधवार को आपत्ति जताई और राज्य के मुख्य सचिव से जवाब मांगा।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वनरोपण के लिए निर्धारित कैम्पा निधि का कथित रूप से उपयोग आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज की खरीद और भवनों के नवीनीकरण समेत अस्वीकृत व्ययों के लिए किया गया।

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न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘‘कैम्पा निधि का इस्तेमाल हरित आवरण बढ़ाने के लिए किया जाना है। इसका उपयोग गैर-स्वीकृत गतिविधियों के लिए किया जाना तथा अधिनियम के अनुसार ब्याज को एससीएएफ (राज्य प्रतिपूरक वनरोपण निधि) में जमा न करना गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए हम उत्तराखंड के मुख्य सचिव को इन पहलुओं पर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं।’’

कैग रिपोर्ट में 2019-2022 तक कैम्पा निधि के इस्तेमाल की जांच की गई और इसमें कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं।

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आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और कार्यालय नवीनीकरण की कथित अनधिकृत खरीद के अलावा निधि का कथित तौर पर इस्तेमाल अदालती मामलों से लड़ने और व्यक्तिगत खर्चों के लिए भी किया गया था।

इसमें कैम्पा अधिकारियों के बार-बार अनुरोध के बावजूद 2019-20 और 2021-22 के बीच 275.34 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान न करने का भी उल्लेख किया गया है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य सरकार ने इस मुद्दे की जानकारी होने के साथ यह दावा किया कि ब्याज देनदारी के 150 करोड़ रुपये जुलाई 2023 में जमा कर दिए गए। यद्यपि यह आरोप है कि एक बड़ी राशि का हिसाब-किताब नहीं है।

पीठ ने कहा कि यदि 19 मार्च तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो मुख्य सचिव को उसके समक्ष उपस्थित होने को कहा जायेगा।

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कैम्पा निधि के उचित उपयोग के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने पर जोर देते हुए अदालत ने पर्यावरण संरक्षण में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।

पीठ 1995 की एक जनहित याचिका, टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ पर सुनवाई कर रही थी, जो पर्यावरण संरक्षण और वनों के संरक्षण पर आधारित है।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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