कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने पाकिस्तान से जुड़े हालिया घटनाक्रमों पर खुलकर राय रखी और केंद्र सरकार पर जुबानी हमला किया। अल्वी ने कहा कि सरकार जो कदम उठा रही है, वह सिर्फ दिखावे के लिए हैं। इससे देश की जनता को संतुष्टि नहीं मिल सकती।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के यूट्यूब चैनल पर भारत में बैन और मंत्री तरार के 'एक्स' अकाउंट ब्लॉक होने पर प्रतिक्रिया देते हुए अल्वी ने कहा कि सरकार जो मुनासिब समझे, करे। लेकिन, देश के लोग चाहते हैं कि बदला लिया जाए। सुषमा स्वराज कहा करती थीं कि अगर एक भारतीय मारा जाएगा, तो हम बदले में दस सिर लाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी यही कहते थे, तो आज पूरा देश इंतजार कर रहा है कि किस तरीके से पाकिस्तान को सबक सिखाया जा सकता है।
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सर्जिकल स्ट्राइक पर चरणजीत सिंह चन्नी के बयान को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आज जो देश का माहौल है, जिस तरीके से पहलगाम में हमारे भाइयों का कत्लेआम हुआ है, उस माहौल में इस तरह के सवाल उठाना बिल्कुल अनुचित है। पूरा भारत आज इंतजार कर रहा है कि सरकार उन 26 लोगों की शहादत का बदला कैसे लेगी। सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वह केवल छोटे-छोटे कदम हैं। अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि सरकार इस संवेदनशील मुद्दे को जाति जनगणना के मुद्दे से कमतर कर रही है।
भाजपा द्वारा कांग्रेस पर सेना का मनोबल तोड़ने के आरोपों पर राशिद अल्वी ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि 1965 में जब हमारी फौज लाहौर तक पहुंच गई थी, तब भाजपा कहां थी? 1971 में जब हमने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे, तब भी कांग्रेस की सरकार थी। फौज भारत की है, किसी पार्टी की नहीं। ऐसे मौके पर भाजपा को देश को बांटने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
इसके अलावा, अल्वी ने सीडब्ल्यूसी को पीडब्ल्यूसी (पाकिस्तान वर्किंग कमेटी) कहने पर भाजपा को घेरा। उन्होंने सवाल किया कि बिना प्रोटोकॉल के नवाज शरीफ के यहां बिरयानी खाने कौन गया था? आज जब देश दुख में डूबा है, तब भाजपा को कांग्रेस से नहीं, पाकिस्तान से लड़ने पर ध्यान देना चाहिए। उनके बयान से लगता है कि वो पहलगाम की घटना को कमजोर कर कांग्रेस से लड़ाई लड़ना चाहते हैं। देश यह माफ नहीं करेगा।
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पाकिस्तानी मंत्री ख्वाजा आसिफ के 'भारत सिंधु नदी रोकेगा तो हम हमला करेंगे' वाले बयान पर अल्वी ने इतिहास की याद दिलाते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान के नेता इतिहास पढ़ें, तो ऐसे बयान नहीं देंगे। 1965 में हम लाहौर पर कब्जा करने वाले थे, अगर सीजफायर नहीं हुआ होता। 1971 में पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए। कारगिल में हमने उन्हें धूल चटा दी थी। ये सब इतिहास है। उनके बयान गीदड़ भभकी से ज्यादा कुछ नहीं।
बिलावल भुट्टो के हालिया बयान पर भी राशिद अल्वी ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह सबको पहले से पता है कि पाकिस्तान का आतंकवाद से गहरा रिश्ता है। जब कसाब पकड़ा गया था, तब भी पाकिस्तान मना कर रहा था, लेकिन हमने दुनिया को दिखाया कि आतंकवाद की जड़ें कहां हैं।
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