बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 23 दिसंबर से 'प्रगति यात्रा' पर निकलने वाले हैं। उससे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने उनसे 10 सवाल पूछे हैं। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी आदत, चरित्र, चाल-चलन एवं चंचलता के कारण एक पखवाड़े में एक ही यात्रा के कई बार नाम बदल चुके हैं। पहले 'महिला संवाद', फिर 'समाज सुधार' और अब 'प्रगति यात्रा।' यह दर्शाता है कि वह कितने अशांत और अस्थिर हो चुके हैं।
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उन्होंने मुख्यमंत्री की यात्रा को लेकर पूछा कि 2023 में 'समाधान यात्रा' के दौरान जनप्रतिनिधियों की समस्याओं में से कितने का समाधान किया गया। उन समस्याओं के निदान के आश्वासन और निर्देश के बावजूद समस्याएं यथावत हैं, क्या उन समस्याओं के यथावत रहने के दोषी वह नहीं हैं?
आरजेडी नेता ने यह भी पूछा कि मुख्यमंत्री के 'जनता दरबार' में लोगों की जन शिकायतों का निवारण अभी तक क्यों नहीं हुआ है? उन्होंने यात्रा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों की शिकायतों, जन समस्याओं को दरकिनार कर चंद अधिकारियों की ही बातें सुननी है तथा अपनी ही रटी-रटाई, घिसी-पीटी बातें सुनानी है तो एकालाप से परिपूर्ण इस यात्रा का फायदा क्या है?
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उन्होंने सवाल किया कि जब जनता से संवाद करना ही नहीं तो उड़न खटोले से यात्रा कर अधिकारियों संग चाय-पानी में अरबों रुपए खर्च क्यों कर रहे हैं? उन्होंने शराबबंदी कानून को लेकर भी सवाल पूछते हुए कहा कि क्या इस यात्रा में मुख्यमंत्री घर-घर मिल रही शराब, शराबबंदी में पुलिस की मिलीभगत तथा शराबबंदी की विफलता की प्रगति की समीक्षा करेंगे?
उन्होंने यह भी पूछा कि क्या यह मुख्यमंत्री की थानों और ब्लॉक में व्याप्त भ्रष्टाचार की प्रगति को गति देने वाली यात्रा है?
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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