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अयोध्या में मंदिर भी और मस्जिद भी, विवादित जगह रामलला को मिली, मुस्लिमों को अलग से 5 एकड़ जमीन मिलेगी

अयोध्या में मंदिर भी बनेगा और मस्जिद भी बनेगी। सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में विवादित जगह रामलला को सौंपने का आदेश दिया, साथ ही मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन देने के निर्देश भी जारी किए।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

आखिरकार देश के सबसे अहम विवाद का फैसला आ गया। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दिया कि अयोध्या में विवादित जगह पर मंदिर बनेगा और इस काम को केंद्र सरकार एक ट्रस्ट बनाकर करेगी। साथ ही मुसलमानों को किसी वैकल्पिक जगह पर 5 एकड़ जमीन मिलेगी, जिसपर मस्जिद बनाई जाएगी। इन दोनों निर्माण की निगरानी ट्र्स्ट करेगा।

सबसे पहले आपको इस फैसले की बड़ी बातें बता देते हैं:

  • अयोध्या भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। बड़ी बातें यह हैं:
  • अयोध्या की विवादित जगह केंद्र सरकार को सौंपी जाएगी
  • केंद्र इस जगह मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट का गठन करे। ट्रस्ट मंदिर बनाने के नियम 3 महीने में तय करें
  • अगर केंद्र चाहे तो निर्मोही अखाड़ा को ट्रस्ट में जगह दी जा सकती है
  • विवादित जगह पर रामलला विराजमान का कब्जा तब तक जब तक शांति और सौहार्द्र कायम रहे
  • शांति और सौहार्द कायम रखने की जिम्मेदारी सरकारी
  • मुसलमानों को अयोध्या में मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जगह पर 5 एकड़ जमीन दी जाएगी। यह जमीन केंद्र या राज्य सरकार दे सकती है

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सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक तय कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दिया कि 3 महीने में एक ट्रस्ट बनाया जाए, जो मंदिर निर्माण के नियम तय करेगा। कोर्ट ने कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन ही रहेगी।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने मुस्लिम पक्ष को नई मस्जिद बनाने के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने के निर्देश भी दिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड के दावों को खारिज कर दिया। लेकिन ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को जगह देने का निर्देश दिया।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टीस एस ए बोबडे, डी वाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर शामिल थे। बेंच ने कहा कि, “संवैधानिक स्कीम के तहत गठित यह पीठ खुद को धर्म और आस्था से लग मानती है। संविधान की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता है।” बेंच ने कहा कि राम जन्मभूमि को कोई व्यक्ति नहीं माना जा सकता।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पुरातत्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बाबरी मस्जिद खाली जगह पर नहीं बनाई गई थी। जिस जगह बाबरी मस्जिद थी उसके नीचे एक ढांचे के अवशेष मिले थे, जिन्हें इस्लामिक ढांचा नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि, किसी जमीन के मालिकाना हक का फैसला सिर्फ विशेषज्ञों की रिपोर्ट पर नहीं हो सकता। यह फैसला तय कानूनी सिद्धांतों के आधार पर ही होना चाहिए।

यहीं कोर्ट ने साफ कहा कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाना कानून के खिलाफ था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या विवाद में अपना दावा साबित करने में नाकाम रहा है। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष ऐसे सबूत पेश करने में विफल रहा जिससे यह साबित हो सके कि विवादित जमीन पर सिर्फ उसका ही अधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट नेअपने फैसले में कहा कि यह तय है कि बाबरी मस्जिद में मुस्लिम अंदर नमाज पढ़ते थे और हिंदू बाहरी परिसर में पूजा करते थे। हालांकि हिंदुओं ने बाबरी मस्जिद के अंदरूनी हिस्से में गुंबद के नीचे भी दावा कर दिया, जबकि मुसलमानों ने मस्जिद को छोड़ा नहीं था।

अंग्रेजी शासन का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि उस दौर में राम चबूतरा और सीता रसोई में पूजा हुआ करती थी। इस बात के सबूत हैं कि हिंदुओं के पास विवादित जमीन के बाहरी हिस्से का कब्जा था। लेकिन इसके सात ही कोर्ट ने साफ कर दिया कि निर्मोही अखाड़ा न तो सेवादार है और न ही भगवान रामलला के श्रद्धालु है।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने शिया वक्फ बोर्ड की विशेष याचिका को भी खारिज कर दिया। शिया वक्फ बोर्ड ने 1946 में फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।

गौरतलब है कि इस मामले की 40 दिन तक लगातार चली सुनवाई हुई इसके बाद यह फैसला आया है। कोर्ट ने हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद 16 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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