पाकिस्तान में धार्मिक असहिष्णुता अब अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव और अपराधों के साथ एक अगले ही स्तर पर पहुंच गई है, जिसमें यह अब केवल हिंदू समुदाय के मंदिरों और ईसाइयों के प्रार्थना स्थलों को नष्ट करने तक सीमित नहीं है। बल्कि हाल ही में खोजे गए बुद्ध की एक प्राचीन प्रतीमा को भी नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया है।
पाकिस्तान के गांधार क्षेत्र में स्थित बौद्ध अवशेष तख्त-ए-बहि और इसके पड़ोस में स्थित प्राचीन नगर सहर-ए-बहलोल को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत की सूची में बौद्ध धर्म के सबसे प्रभावशाली अवशेषों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें अब कट्टरपंथी मौलवियों के कट्टर समर्थकों के द्वारा ढहाया जा रहा है। खैबर-पख्तूनख्वा के मर्दान जिले में स्थित ये पुरातात्विक स्थल पहली और सातवीं शताब्दी के बीच गांधार क्षेत्र में मठों और शहरी समुदायों के विकास के सबसे विशिष्ट उदाहरण हैं।
शनिवार को सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाले वायरल वीडियो में एक आदमी को बुद्ध की एक आदमकद प्रतिमा को मौलवी के इसे मलबे में बदलने के निर्देश पर नष्ट करते हुए देखा गया। इस प्रतिमा की खोज कुछ दिनों पहले ही की गई थी और माना जा रहा है कि इसे शुक्रवार को ध्वस्त कर दिया गया। मौलवी को प्रतिमा को नुकसान पहुंचा रहे आदमी को यह कहते हुए सुना गया कि वह अपना ईमान खो देगा और उसका निकाह भी जायज नहीं रहेगा।
अब तक, यूनेस्को का यह मानना था कि तख्त-ए-बहि काफी अच्छे से संरक्षित है और ऊंची पहाड़ियों पर स्थित होने के चलते पिछले कई सौ सालों में यह कई हमलों से बचने में कामयाब रहा। लेकिन पेशावर में स्थित प्रोवेंशियल डिपार्टमेंट ऑफ आर्कियोलॉजी जैसी एजेंसियां जिन्हें तख्त-ए-बहि और सहर-ए-बहलोल बौद्ध धर्म के अवशेषों से संबंधित दो अहम स्थानों के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई है, उनके मूकदर्शक बने रहने क वजह से इन्हें नुकसान पहुंचाया गया है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined