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अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की हालत अचानक बिगड़ी, पल्स रेट और ब्लड प्रेशर कम हुआ

लंबे समय से आमरण अनशन पर बैठे डल्लेवाल की तबीयत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। हालांकि, वहां मौजूद डॉक्टर उन्हें समय-समय पर चिकित्सकीय सहायता मुहैया कराते रहते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया  

आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता डल्लेवाल की अचानक तबीयत खराब हो गई। उनका पल्स रेट और ब्लड प्रेशर कम हो गया। इसके बाद वहां मौजूद डॉक्टरों ने उनके हाथों और पैरों की मालिश की और उन्हें पानी पिलाया, तब जाकर उनकी तबीयत में कुछ सुधार आया। डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ने के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने सतनाम वाहे गुरु का जाप करना शुरू कर दिया। लंबे समय से आमरण अनशन पर बैठे डल्लेवाल की तबीयत दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है। हालांकि, वहां मौजूद डॉक्टर उन्हें समय-समय पर चिकित्सकीय सहायता मुहैया कराते रहते हैं। वहीं, उनकी नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने अपनी ओर से अर्लट भी कर दिया है।

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बता दें कि इससे पहले 3 जनवरी को अकाल तख्त साहिब के हेड ग्रंथी, सिंह साहिब ज्ञानी मलकीत सिंह ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की सेहत के लिए अरदास की थी। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है। उनकी सेहत को लेकर चिंतित किसान संगठन और उनके समर्थकों ने श्री अकाल तख्त साहिब पर अरदास की। इस अवसर पर सिंह साहिब ज्ञानी मलकीत सिंह ने कहा था कि डल्लेवाल लंबे समय से किसानों की मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और उनकी हालत गंभीर है।

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ज्ञानी मलकीत सिंह ने कहा था कि डल्लेवाल के आमरण अनशन के कारण उनका शरीर अत्यधिक कमजोर हो गया है। डॉक्टरों के मुताबिक, डल्लेवाल का शरीर मांस से पूरी तरह खाली हो चुका है और केवल हड्डियां बची हैं। पिछले 30 दिसंबर को किसानों ने पंजाब बंद किया था और अब किसान नेता 4 जनवरी को होने वाली किसान महापंचायत को सफल बनाने की कोशिश में जुटे हैं।

सिंह साहिब ने अरदास की कि जगजीत सिंह डल्लेवाल जल्द स्वस्थ हों और उनका संघर्ष सफल हो। इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने डल्लेवाल की सेहत पर चिंता जताते हुए कहा था कि वह पिछले कई दिनों से अनशन पर बैठे हैं और जब वह इतने दिनों तक अनशन करेंगे तो उनकी सेहत खराब ही होगी।

टिकैत ने मीडिया से बात करते हुए कहा था, "सिख समाज शहीदी से पीछे नहीं हटता है, यह भी इनकी खासियत है और डल्लेवाल इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि या तो भारत सरकार उनकी मांगों को पूरा करें, नहीं तो वह वापस नहीं जाएंगे। मेरे या किसी और दूसरे के कहने से हमें नहीं लगता कि वह अनशन से पीछे हटेंगे। उन्हें किसी ने जबरदस्ती नहीं बैठाया है और यह उनका खुद का निर्णय है।"

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