हालात

हाउस अरेस्ट के लिए गौतम नवलखा की रिहाई की अड़चन हटी, सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट पर सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में गौतम नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के आदेश के बाद उन्हें तलोजा केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया था।

फोटोः IANS
फोटोः IANS 

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी बनाए गए सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा को महाराष्ट्र की जेल से रिहाकर घर पर नजरबंद करने में आ रही रुकावट को हटा दिया है। कोर्ट ने आज कहा कि हम याचिकाकर्ता नवलखा के लिए सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट की आवश्यकता की शर्त को छोड़ना उचित समझते हैं।

जस्टिस के.एम. जोसेफ और हृषिकेश रॉय ने कहा कि हमारे 10 नवंबर, 2022 के आदेश के संदर्भ में यह इंगित किया गया है कि याचिकाकर्ता की नजरबंदी के लिए पूर्व शर्त के रूप में सॉल्वेंसी प्रमाणपत्र लेना होगा, जिसमें कम से कम छह सप्ताह लगेंगे। शीर्ष कोर्ट ने 10 नवंबर को नवलखा की बिगड़ती सेहत को देखते हुए उन्हें नजरबंद करने की अनुमति दी थी और 14 नवंबर तक उन्हें 2 लाख रुपये जमा करने को कहा था। आज पीठ ने आदेश में कहा कि हम याचिकाकर्ता के 10 नवंबर, 2022 के हमारे आदेश का लाभ उठाने के लिए सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट की आवश्यकता को छोड़ना उचित समझते हैं।

Published: undefined

पीठ ने कहा, "चूंकि पासपोर्ट, आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे अन्य पर्याप्त सुरक्षा प्रमाण प्रदान किए गए हैं, ट्रायल कोर्ट को इस अदालत के आदेश के लाभ के लिए पहचान के अतिरिक्त प्रमाण के रूप में राशन कार्ड पर जोर नहीं देना चाहिए। नवलखा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन और अधिवक्ता शादान फरासत ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि कार्यकर्ता की नजरबंदी के लिए पूर्व शर्त के रूप में जमानत के संबंध में सॉल्वेंसी सर्टिफिकेट हासिल करने में कम से कम छह सप्ताह का समय लगेगा।

Published: undefined

इससे पहले 10 नवंबर को शीर्ष अदालत ने कई शर्तें लगाते हुए 70 वर्षीय नवलखा को मुंबई में एक महीने के लिए नजरबंद रखने की अनुमति दी थी। नवलखा को राहत देते हुए पीठ ने कहा कि प्रथमदृष्टया उनकी मेडिकल रिपोर्ट को अस्वीकार करने का कोई कारण नहीं है। पीठ ने कहा कि हमें याचिकाकर्ता को कम से कम सुनवाई की अगली तारीख तक घर में नजरबंद रखने की इजाजत देनी चाहिए। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को निर्धारित करते हुए ये बातें कही।

Published: undefined

29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में शिफ्ट करने का निर्देश दिया। नवलखा ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने अप्रैल में पारित फैसले में तलोजा जेल से स्थानांतरित करने की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। नवलखा को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था और शुरू में घर में नजरबंद रखा गया था। अप्रैल 2020 में शीर्ष अदालत के आदेश के बाद, उन्हें तलोजा केंद्रीय कारागार में भेज दिया गया था।

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined