दिल्ली में पुलिस द्वारा झपटमारी के मामलों को दर्ज ही न करने या फिर झपटमारी के मामलों को 'चोरी' की धाराओं में बदल देने का मुद्दा बुधवार को राज्यसभा में पहुंच गया।
सांसद राजकुमार धूत ने इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया। सांसद ने सवाल किया, "क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि दिल्ली पुलिस राष्ट्रीय राजधानी में झपटमारी की घटनाओं में प्राथमिकी दर्ज नहीं करती है। और यदि दर्ज करती भी है तो झपटमारी के स्थान पर चोरी का मामला दर्ज किया जाता है?"
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सांसद का दूसरा सवाल था, "क्या यह सच है कि जब कोई पीड़ित व्यक्ति पुलिस थाने अथवा पुलिस चौकी में जाता है तो पुलिस वाले प्राथमिकी दर्ज करने के बजाए पीड़ित व्यक्ति के साथ ही दुर्व्यवहार करते हैं और उन्हें बुरा-भला कहते हैं?"
दिल्ली पुलिस के लिए सबसे तीखा और तीसरा सवाल था, "सरकार ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं, अथवा उठाने का विचार रखती है तथा गाली-गलौच करने वाले और प्राथमिकी दर्ज नहीं करने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध क्या कार्रवाई किए जाने का प्रस्ताव है?"
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इन प्रश्नों के जबाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा, "सन 2019 में 31 अक्टूबर तक दिल्ली पुलिस ने झपटमारी के 5307 मामले दर्ज किए। तथापि, वर्ष 2019 के दौरान दिल्ली पुलिस को झपटमारी के मामलों को दर्ज न करने अथवा कानून की अनुपयुक्त धाराओं के तहत दर्ज करने के संबंध में तीन शिकायतें प्राप्त हुईं। जहां तक सवाल पुलिस द्वारा पुलिस स्टेशन में पुलिसकर्मियों द्वारा किसी पीड़ित/शिकायतकर्ता के उत्पीड़न उसके साथ बदसलूकी का सवाल है, तो ऐसा कोई मामला जानकारी में नहीं है।"
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी की पुलिस पर करीब छह महीने से खुलेआम आरोप लग रहे थे कि वह रिकार्ड में 'क्राइम-ग्राफ' को डाउन दिखाने के चक्कर में किसी भी हद तक गिरने पर तुली है। यहां तक कि झपटमारी के तमाम मामलों को भी दिल्ली पुलिस ने 'चोरी' में दर्ज कर डाला। इसके एक नहीं तमाम नमूने हैं।
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सबसे पुख्ता नमूना तब सामने आया जब ज्योति राठी नामक एक महिला के साथ सुबह के वक्त झपटमारी की घटना हुई। वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। पीड़िता रोहिणी जिले के थाना प्रशांत विहार पहुंची। वहां मौजूद सहायक पुलिस उप-निरीक्षक सखा राम ने झपटमारी की वारदात चोरी में दर्ज कर ई-एफआईआर पीड़िता के हाथ में थमा दी।
पीड़िता ज्योति ने दिल्ली पुलिस के अधिकारियों को लाख सबूत दिए कि वारदात झपटमारी की है चोरी की नहीं। आंकड़ों की बाजीगरी के जरिए क्राइम ग्राफ को डाउन शो करने के फेर में फंसी दिल्ली पुलिस ने मगर पीड़िता की एक नहीं सुनी।
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आईएएनएस ने इस बारे में जब तत्कालीन विशेष पुलिस आयुक्त संजय सिंह (दो नवंबर को तीस हजारी में वकीलों और पुलिस में हुए खूनी संग्राम के बाद उत्तरी परिक्षेत्र के विशेष आयुक्त कानून एवं व्यवस्था के पद से हटाए जा चुके) और रोहिणी जिला पुलिस उपायुक्त शंखधर मिश्रा (एसडी मिश्रा) से पूछा, तब कहीं जाकर ज्योति के साथ घटी झपटमारी की वारदात को 'झपटमारी' में दर्ज किया गया।
डीसीपी शंखधर मिश्रा और स्पेशल पुलिस कमिश्नर संजय सिंह ने इसके साथ ही आईएएनएस को बताया गया कि चोरी की जबरिया ई-एफआईआर दर्ज करने के आरोपी एएसआई सखा राम को 'लाइन-हाजिर' कर प्रशांत विहार थाने से हटा दिया गया है। हालांकि दोनों आला पुलिस अफसरों से उनके इस बयान के तुरंत बाद जब आईएएनएस ने प्रशांत विहार थाने में फोन करके पूछा तो महिला ड्यूटी अफसर ने कहा, "सखा राम सर तो बहुत अच्छे हैं। वह भला क्यों और कहां जाएंगे थाने से? उन्हें तो यहीं बाहर (थाना परिसर में) ही अभी मैंने देखे हैं।"
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ऐसा नहीं है कि ज्योति राठी कांड में मीडिया में हुई छीछालेदर से दिल्ली पुलिस को शर्म आई हो। 23 नवंबर को मध्य जिला पुलिस के अंतर्गत थाना पहाड़गंज ने फिर 'खेल' कर डाला। यहां बदमाशों ने सतीश जोशी नामक अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी की स्कूटी और मोबाइल लूट लिया। मामला दर्ज होना चाहिए था लूट या झपटमारी की धाराओं में। लेकिन पहाड़गंज पुलिस ने ई-एफआईआर दर्ज कर डाली 'चोरी' में। मतलब देश का नाम रौशन करने वाले खिलाड़ी के साथ भी आंकड़ों की बाजीगरी से दिल्ली पुलिस बाज नहीं आई।
गंभीर बात तो यह है कि मध्य जिले के डीसीपी मंदीप सिंह रंधावा दिल्ली पुलिस के मुख्य प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने आज तक पहाड़गंज थाना पुलिस द्वारा किए गए इस घिनौने खेल की कोई अधिकृत जानकारी मीडिया को मुहैया नहीं कराई है।
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