
निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूचियों को अद्यतन करने की कवायद ‘विशेष गहन पुनरीक्षण’ (एसआईआर) मंगलवार को नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू होगी। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर प्रक्रिया सात फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन के साथ समाप्त होगी। इन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 51 करोड़ मतदाता हैं।
बिहार के बाद एसआईआर का यह दूसरा चरण है। बिहार में अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की गई थी। बिहार में करीब 7.42 करोड़ नामों को मतदाता सूची में शामिल किया गया था। दूसरे चरण में, जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर की कवायद होगी, उनमें अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्यप्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
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इनमें से तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। असम में भी 2026 में चुनाव होने हैं, लेकिन वहां मतदाता सूची के पुनरीक्षण की घोषणा नहीं की गई है। कहा गया है कि असम के लिए अलग से घोषणा की जाएगी, क्योंकि राज्य में नागरिकता सत्यापित करने के लिए उच्चतम न्यायालय की निगरानी में प्रक्रिया चल रही है। साथ ही नागरिकता कानून का एक अलग प्रावधान असम में लागू होता है।
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मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 27 अक्टूबर को एसआईआर के नये चरण की घोषणा करते हुए कहा था, ‘‘नागरिकता अधिनियम के तहत, असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं। उच्चतम न्यायालय की निगरानी में नागरिकता की जांच का काम पूरा होने वाला है। 24 जून का एसआईआर आदेश पूरे देश के लिए था। ऐसी परिस्थितियों में, यह असम पर लागू नहीं होता।’’
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एसआईआर की प्रक्रिया चार नवंबर को शुरू होगी और चार दिसंबर तक जारी रहेगी। निर्वाचन आयोग नौ दिसंबर को मतदाता सूची का मसौदा जारी करेगा और अंतिम मतदाता सूची सात फरवरी को प्रकाशित की जाएगी। आयोग का मानना है कि एसआईआर से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए और किसी भी अपात्र मतदाता का नाम मतदाता सूची में नहीं रहे। एसआईआर का प्राथमिक उद्देश्य अवैध विदेशी प्रवासियों के जन्म स्थान की जांच करके उन्हें सूची से बाहर निकालना है। बांग्लादेश और म्यांमा सहित अवैध प्रवासियों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में कार्रवाई के मद्देनजर यह कदम महत्वपूर्ण है।
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इससे पहले 2002-04 में एसआईआर किया गया था। जून में बिहार में एसआईआर शुरू किया गया था, तो कई राजनीतिक दलों ने दावा किया था कि दस्तावेजों के अभाव में करोड़ों पात्र नागरिक मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। जब मामला उच्चतम न्यायालय पहुंचा, तो आयोग ने मतदाता सूची को अद्यतन करने के अपने फैसले का बचाव किया और आश्वासन दिया कि भारत का कोई भी पात्र नागरिक नहीं छूटेगा। अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद बिहार में करी 60 लाख से ऊपर मतदाताओं का नाम कट गया।
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