पिछले कुछ दिनों से लेह में सुरक्षा कारणों से कड़ी पाबंदियां लागू थीं। हालांकि अब प्रशासन ने धीरे-धीरे ढील देनी शुरू कर दी है। इस फैसले से स्थानीय लोगों और व्यापारियों को बड़ी राहत मिली है। दुकानों के खुलने से बाजारों में रौनक लौट आई है और लोग जरूरी सामानों की खरीदारी कर रहे हैं।
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स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि लंबे समय से कारोबार प्रभावित हो रहा था। अब प्रशासन द्वारा तय समय के भीतर बाजार खोलने की अनुमति से उन्हें राहत मिली है। आम लोग भी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए बाजारों में पहुंचे।
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हालांकि प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे पूरी तरह से शांति बनाए रखें और निर्धारित समय का पालन करें। सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती जारी है।
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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्ज और संवैधानिक सुरक्षा जैसे छठी अनुसूची की मांग को लेकर हिंसका प्रदर्शन हुआ।
पहले यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन था, लेकिन बाद में हिंसक रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई।
प्रदर्शनकारियों ने बीजेपी कार्यालय, क्षेत्रीय सरकारी भवन और पुलिस वाहनों में आग लगा दी।
पुलिस ने नियंत्रण करने के लिए आंसू गैस, लाठीचार्ज, और अपराध नियंत्रण उपाय किए।
संघर्ष में कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए।
सुरक्षा बलों और पुलिसकर्मियों को भी चोटें आईं।
इसके बाद प्रशासन ने प्रतिबंध और सुरक्षा बढ़ाने जैसे कदम उठाए।
इंटरनेट सेवाएं बंद की गईं और कई सार्वजनिक गतिविधियों पर रोक लगाई गई।
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सोनम वांगचुक पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांगों का नेतृत्व कर रहे थे। उन्होंने इस आंदोलन में जनता को आशा और नेतृत्व दिया, जिसमें युवा और स्थानीय संगठन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे।
वांगचुक ने विरोध प्रदर्शन और अनशन भी किया। 15 दिनों तक चले इस अनशन को उन्होंने तब तोड़ा, जब प्रदर्शन हिंसक रूप ले लिया। इस दौरान उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।
पुलिस और प्रशासन ने आरोप लगाया कि वांगचुक के बयान “उत्तेजक” थे और उन्होंने लोगों को भड़काने का काम किया। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल वह जोधपुर जेल में बंद हैं।
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