
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष एसआईआर के विषय पर चर्चा की मांग को लेकर अड़ा है। सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही से पहले शिवसेना-यूबीटी की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जो लोग ड्रामा की बात करते हैं और डेमोक्रेसी का ड्रामा करते हैं, वे हमें लेक्चर नहीं दे सकते।
सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मंगलवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, "अगर आप एसआईआर करना चाहते हैं, तो देखिए कि इसे कैसे लागू किया जा रहा है। बीएलओ लगातार भेजे जा रहे हैं और 30 से ज्यादा लोग मर चुके हैं। इससे पता चलता है कि किस तरह का दबाव और टारगेट थोपा जा रहा है। फिर भी सही, बड़े पैमाने पर चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं है।"
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उन्होंने कहा, "जो लोग ड्रामा की बात करते हैं और डेमोक्रेसी का ड्रामा करते हैं, वे हमें लेक्चर नहीं दे सकते। चुनाव आयोग, एजेंसियों और संविधान को कमजोर किया जा रहा है। अगर हम इन मुद्दों को संसद में नहीं रखेंगे, तो हम इन्हें कहां उठाएंगे?"
शिवसेना-यूबीटी की नेता ने अपनी मांग रखते हुए कहा, "हमसे हर विषय पर चर्चा के लिए कहा गया है, लेकिन हमारा भी कहना है कि 15 दिन के सत्र में अगर आप 10 विधेयक लाते हैं, तब दो हमारे मुद्दों पर भी चर्चा होनी चाहिए। हम भी चाहते हैं कि सदन चले। हमारा बार-बार यही कहना है कि सरकार को हमारी मांगों पर भी व्यापक चर्चा करने दे।"
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'वंदे मातरम' के विषय पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "इस बार हमें बताया गया है कि 'वंदे मातरम' को लेकर चर्चा होगी। लेकिन किसी ने यह प्रश्न नहीं पूछा कि 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे नारे राज्यसभा में नहीं लगाए जा सकते। सरकार 'वंदे मातरम' की 150वीं वर्षगांठ मनाने जा रही है, लेकिन पूछा जाना चाहिए कि राज्यसभा में नारों से जुड़ा नोटिस किस आधार पर निकाला गया था।"
प्रियंका चतुर्वेदी ने पूछा कि क्या सरकार को 'वंदे मातरम' और 'जय हिंद' जैसे नारों पर भी आपत्ति होने लगी है?
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