अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने अमेरिका में विदेशी छात्रों और मीडियाकर्मियों के लिए वीजा की अवधि सीमित करने का प्रस्ताव रखा है। नए नियम के तहत विदेशी छात्रों के अमेरिका में अध्ययन की अवधि सीमित कर दी जाएगी। वर्तमान में, 3,00,000 से ज़्यादा भारतीय अमेरिका में अध्ययन कर रहे हैं। इसके अलावा ट्रंप प्रशासन एच1बी कार्यक्रम और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में भी बदलाव लाने की योजना बना रहा है। एच-1बी वीजा से सबसे ज्यादा फायदा भारतीयों को होता है।
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आंतरिक सुरक्षा विभाग (डीएचएस) ने बुधवार को एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि यदि प्रस्तावित नियम को अंतिम रूप दिया जाता है तो विदेशी छात्रों समेत कुछ वीजा धारकों के अमेरिका में रहने की अवधि सीमित हो जाएगी। साल 1978 से, विदेशी छात्रों को ‘एफ’ वीजा के तहत अनिर्दिष्ट अवधि के लिए अमेरिका में प्रवेश दिया जाता रहा है डीएचएस ने कहा कि अन्य वीजा के विपरीत एफ वीजा धारकों को बिना किसी अतिरिक्त जांच-पड़ताल के अनिश्चित समय तक अमेरिका में रहने की अनुमति होती है।
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डीएचएस प्रवक्ता ने कहा, "लंबे समय से, पिछले प्रशासनों ने विदेशी छात्रों और अन्य वीजा धारकों को अमेरिका में लगभग अनिश्चितकाल तक रहने की अनुमति दी है, जिससे सुरक्षा जोखिम पैदा हुआ है, करदाताओं के पैसे की भारी हानि हुई है और अमेरिकी नागरिकों को नुकसान हुआ है।" प्रवक्ता ने कहा, "यह नया प्रस्तावित नियम कुछ वीजा धारकों के अमेरिका में रहने की अवधि को सीमित कर इस दुरुपयोग को हमेशा के लिए समाप्त कर देगा।" विदेशी मीडिया कर्मी पांच साल के लिए जारी किए गए ‘आई’ वीजा के तहत अमेरिका में काम कर सकते हैं, जिसे कई बार बढ़ाया जा सकता है। हालांकि नए नियम के तहत प्रारंभिक अवधि अब 240 दिन तक के लिए निर्धारित की जाएगी।
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अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड ल्यूटनिक ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन एच1बी कार्यक्रम और ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में बदलाव लाने की योजना बना रहा है। एच1बी भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच सबसे अधिक मांग वाला गैर-आप्रवासी वीजा है। ल्यूटनिक ने मंगलवार को फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "मैं एच1बी कार्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया में शामिल हूं। हम उस कार्यक्रम को बदलने पर काम कर रहे हैं, क्योंकि वह बहुत बुरा है।" एच-1बी वीजा से सबसे ज्यादा फायदा भारतीयों को होता है।
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उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ग्रीन कार्ड प्रक्रिया में बदलाव करने पर भी विचार कर रहा है, जिसके तहत अमेरिका में स्थायी निवास दिया जाता है। ल्यूटनिक ने कहा, "आप जानते हैं, हम ग्रीन कार्ड देते हैं। औसत अमेरिकी सालाना 75,000 अमेरिकी डॉलर कमाता है और औसत ग्रीन कार्ड प्राप्तकर्ता 66,000 अमेरिकी डॉलर कमाता है। हम यह सब देख रहे हैं और पता लगा रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है? इसीलिए डोनाल्ड ट्रंप इसे बदलने वाले हैं। गोल्ड कार्ड आने वाला है। और हम देश में आने वाले अच्छे लोगों को चुनेंगे। अब इसे बदलने का समय आ गया है।"
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ल्यूटनिक ने कहा, "मौजूदा एच1बी वीजा प्रणाली एक घोटाला है, जिसके तहत अमेरिकियों की नौकरियां विदेशी कर्मचारियों को दी जाती हैं। अमेरिकी कर्मचारियों को नियुक्त करना सभी बड़ी अमेरिकी कंपनियों की प्राथमिकता होनी चाहिए। अब अमेरिकियों को नियुक्त करने का समय आ गया है।" फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस ने भी फॉक्स न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि एच1बी वीजा "पूरी तरह से घोटाला" बन गया है।
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