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योगी और बीजेपी के दावों के उलट उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का सरकार पर अब भी ₹3,753 करोड़ बकाया

बीजेपी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कितने ही दावे करें, लेकिन सच्चाई है कि उत्तर प्रदेश सरकार पर गन्ना किसानों का अब भी 3,752 करोड़ बकाया है। यह बात सरकार ने संसद में एक सवाल के जवाब में सामने रखी है।

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उत्तर प्रदेश सरकार पर गन्ना किसानों का वित्त वर्ष 2020-21 के लिए करीब 3,752 करोड़ रुपए बकाया है। लेकिन सरकार का दावा है कि वह गन्ना किसानों का सारा भुगतान कर चुकी है। केंद्र सरकार ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा में जानकारी दी कि पिछले दो वित्त वर्ष का गन्ना किसानों का भुगतान किया जा चुका है। ध्यान रहे कि नया पेराई सीजन अक्टूबर 2021 में शुरु हो चुका है।

आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का सरकार पर बकाया देश में सर्वाधिक है। मेंग्लुरु के बीजेपी सांसद नलिन कुमार कतील और मांडया के निर्दलीय सांद सुमनलता अम्बरीश के सवाल के जवाब में सरकार ने बताया कि किसानों के कुल बकाए 33,014 करोड़ में से 29,262 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। केंद्र सरकार का कहना है कि यह आंकड़े उसने उत्तर प्रदेश सरकार से हासिल किए हैं।

गौरतलब है कि इस साल यानी 2021 के सितंबर में उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया था कि करीब 45 लाख गन्ना किसानों का 84 फीसदी भुगतान किया जा चुका है। यूपी सरकार के गन्ना विकास विभाग ने कहा था कि बीते चार साल में गन्ना किसानों को लगभग 1,42,650 करोड़ का भुगतान किया गया है। पिछले पेराई सत्र की समाप्ति पर गन्ना विकास विभाग ने कहा कि 120 चीनी मिलों में 1,028 लाख टन गन्ने की खरीद हुई है जिसकी कीमत वित्त वर्ष 2021 के लिए 33,025 करोड़ थी। पिछला पेराई सत्र अक्टूब 2020 में शुरु हुआ था और जुलाई 2021 में खत्म हुआ है।

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गन्ना किसानों के बकाए भुगतान में देरी पर राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने कहा है कि किसानों के बकाए का भुगतान में देरी के चलते किसानों को बीजेपी और योगी सरकार पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। इस साल अगस्त में आरएलडी ने गन्ना किसानों के बकाए के लिए कई जिलों में प्रदर्शन भी किया था और बकाया भुगतान तुरंत जारी करने की मांग की थी।

जयंत चौधरी ने कहा कि, “सरकार ने संसद में ही योगी सरकार की नाकामी को स्वीकार कर लिया कि किस तरह वह किसानों से किए वादे को पूरा करने में फेल हुई है। बीजेपी ने वादा किया था कि किसानों को 14 दिन के अंदर बकाए का भुगतान कर दिया जाएगा, और ऐसा न होने पर हर दिन के हिसाब से ब्याज का भुगतान होगा। प्रधानमंत्री ने भी कहा था किसानों को फसल का सही दाम नहीं मिल रहा है और उन्होंने कहा था कि किसानों को 400 रुपए से ज्यादा का भुगतान होगा। लेकिन सरकार द्वारा तय दाम से किसानों की लागत तक नहीं निकल रही है।” उन्होंने सवाल पूछा कि आखिर अब बीजेपी और योगी किसानों से क्या वादा करेंगे।

इस साल फरवरी में (2021 में) उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने गन्ने की हर किस्म के दाम 315 रुपए तय किये थे। यह दाम कुल गन्ने की आधी से ज्यादा पैदावार पर लागू हैं। पिछले साल भी गन्ने का यही दाम था। उत्तर प्रदेश में निजी और सहकारी चीनी मिलें भी किसानों से उसी दाम पर गन्ना खरीदती हैं जो सरकार तय करती है और दोनों ही किसानों के बकाए का समय पर भुगतान करने में नाकाम रही हैं।

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उत्तर प्रदेश के किसान योगी सरकार से इस बात पर भी नाराज है कि बीते चार साल से सरकार ने गन्ने के दाम में कोई परिवर्तन नहीं किया है। सितंबर 2021 में चुनावों को देखते हुए योगी सरकार ने गन्ने के समर्थन मूल्य में 25 रुपए प्रति कुतंल की बढ़ोत्तरी का ऐलान किया था। इस तरह अब यूपी में गन्ने का दाम 340 रुपए प्रति कुंतल है, जबकि खास किस्म के गन्ने का दा 350 रुपए प्रति कुतंल है।

भारतीय किसान यूनियन ने योगी सरकार से गन्ने का दाम 425 रुपए करने की मांग उठाई है। बीजेपी के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी भी सरकार से गन्ने का दाम कम से कम 400 रुपए प्रति कुंतल करने का आग्रह किया था।

अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के साथ ही 11 राज्यों की सरकारों से भी किसानों की तरफ से कृषि विशेषज्ञों द्वारा दायर जनहित याचिका पर जवाब मांगा था कि आखिर किसानों का चीनी मिलों पर करीब 20,000 करोड़ क्यों बकाया है।

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इस बारे में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात, बिहार, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड, केन एग्रो इनर्जी इंडिया लिमिटेड, इंडियन सुगर मिल्स एसोसिएशन और इंडिन सुक्रोज लिमिटेड को भी नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। केस अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

अन्य राज्यों में क्या है बकाए की स्थिति?

महाराष्ट्र में किसानों का 32,415 करोड़ बकाया था जिसमें से 31,751 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है, सिर्फ 394 करोड़ बकाया है। छत्तीसगढ़ में किसानों का सिर्फ 64 करोड़, हरियाणा में 63 करोड़, उत्तराखंड में 52 करोड़, गुजरात में 44 करोड़, आंध्रप्रदेश में 37 करोड़, तमिलनाडु में 25 करोड़, पंजाब में सिर्फ 9 करोड़ और बिहार में 4 करोड़ रुपए बकाया हैं।

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