उत्तर प्रदेश में चल रहे स्कूल मर्जर विवाद पर लखनऊ हाईकोर्ट ने अहम सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। अदालत ने स्पष्ट किया है कि सीतापुर जिले में स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया पर फिलहाल यथास्थिति बरकरार रखी जाए। साथ ही, हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि जिन स्कूलों की दूरी एक किलोमीटर से कम है, उनकी पेयरिंग नहीं की जाएगी। साथ ही जिन स्कूलों में 50 से ज्यादा छात्र हैं, उन्हें भी मर्जर की प्रक्रिया से बाहर रखा जाएगा।
हाईकोर्ट ने राज्य की योगी सरकार से मर्जर से जुड़े आदेश रिकॉर्ड पर लाने के भी निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई की तारीख 1 सितंबर को होगी। कोर्ट का यह आदेश शिक्षा व्यवस्था को संतुलित करने और छात्रों के अधिकारों की रक्षा करने की दिशा में एक बड़ा और अहम कदम बताया जा रहा है।
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इस मर्जर नीति को लेकर अभिभावकों, शिक्षकों और विपक्षी दलों में कड़ा विरोध देखा जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने इसे शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने इसे सरकार का राजनीतिक निर्णय करार दिया है। दूसरी ओर, राज्य सरकार का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत संसाधनों का बेहतर उपयोग करने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के मकसद से स्कूल मर्जर की प्रक्रिया चलाई जा रही है।
सीतापुर समेत राज्य के कई जिलों में अभिभावक लगातार इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। मोहनलालगंज में हाल ही में संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान अभिभावकों और प्रधानों ने विरोध दर्ज कराया और प्रशासन पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया। विपक्षी दल इसे बच्चों की पढ़ाई के साथ खिलवाड़ बताते हुए राज्य की बीजेपी सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं।
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अब सबकी नजरें 1 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां हाईकोर्ट इस मामले में आगे का रास्ता तय कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि न्यायालय शिक्षा सुधार के नाम पर उठाए गए इस कदम को कितना संवैधानिक और व्यावहारिक मानता है।
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