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उत्तर प्रदेश उपचुनाव में बीजेपी की साख दांव पर, हाथरस कांड पर घिरे योगी के लिए बड़ी चुनौती

प्रदेश के राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस उपचुनाव से साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का रुख पता चलेगा। बीजेपी के सामने अपनी सीटों को बचाने की चुनौती है तो विपक्ष के सामने उससे सीटें छीनने की। प्रदेश की राजनीति में ये उपचुनाव एक बड़ी लकीर खीचेंगे।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सात सीटों पर उपचुनाव की प्रक्रिया जारी है। इन खाली हुई सात में से छह सीटें बीजेपी की हैं। ऐसे में साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का यह चुनाव सत्ता पर काबिज बीजेपी के लिए कड़ी परीक्षा है। क्योंकि प्रदेश में कोरोना संकट, अयोध्या में राममंदिर निर्माण और हाल ही में हाथरस कांड के बाद होने जा रहे इस उपचुनाव में बीजेपी की साख दांव पर है।

उपचुनाव के लिए प्रदेश की सभी बड़ी पार्टियों के साथ छोटे दलों ने भी अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतार दिया है। बीजेपी ने सभी सीटों के लिए अपने कार्यकर्ताओं और दो दिवंगत नेताओं की पत्नियों को टिकट देकर इमोशनल कार्ड खेलने का प्रयास किया है। हालांकि, सभी सीटों पर अलग-अलग समीकरण काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि उपचुनाव के नतीजों से सियासी दलों के प्रति मतदाताओं के रुख का पता चलेगा।

Published: 17 Oct 2020, 4:24 PM IST

सीटों की बात करें तो जौनपुर जिले की मल्हनी सीट एसपी के पारस नाथ यादव के निधन के कारण खाली हुई है। एसपी के सामने यह सीट बरकार रखने की चुनौती है। एसपी ने यहां से पारस नाथ के पुत्र लकी यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि बीजेपी से यहां मनोज सिंह उनके सामने हैं। बीएसपी ने जयप्रकाश दुबे और कांग्रेस ने राकेश मिश्र को मैदान में उतारकर समीकरण उलझा दिया है। इस सीट पर दो बार विधायक रहे धंनजय सिंह भी मैदान पर ताल ठोककर लड़ाई को रोचक बना रहे हैं।

उन्नाव की बांगरमऊ सीट बीजेपी से विधायक रहे कुलदीप सिंह सेंगर की उन्नाव रेपकांड में सजा मिलने के बाद सदस्यता जाने के कारण खाली हुई है। यह सीट बरकरार रखना बीजेपी के लिए चुनौती है। बीजेपी ने यहां से उन्नाव के पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीकांत कटियार को उतारा है। समाजवादी पार्टी ने सुरेश कुमार पाल और बीएसपी ने महेश प्रसाद को टिकट दिया है। कांग्रेस ने बांगरमऊ से आरती बाजपेयी को प्रत्याशी बनाया है।

Published: 17 Oct 2020, 4:24 PM IST

फिरोजाबाद की टूंडला सुरक्षित सीट योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल के सांसद चुने जाने के बाद खाली हुई है। काफी दिनों से खाली इस सीट पर बीजेपी ने प्रेमपाल धनगर को मैदान में उतारा है। इनके सामने एसपी के महराज सिंह धनगर चुनाव मैदान में हैं। बीएसपी ने संजीव कुमार चक को और कांग्रेस ने यहां से स्नेहलता को प्रत्याशी बनाया है।

वहीं कानपुर की घाटमपुर सुरक्षित सीट योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री कमलरानी वरुण के दिवंगत होने से खाली हुई है। बीजेपी ने यहां से कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र में अनुसूचित मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र पासवान को प्रत्याशी बनाया है। जबकि एसपी ने 2017 के चुनाव में प्रत्याशी रहे इंद्रजीत कोरी पर दांव खेला है। बीएसपी ने कुलदीप कुमार संखवार को और कांग्रेस ने कृपा शंकर को टिकट दिया है।

Published: 17 Oct 2020, 4:24 PM IST

देवरिया सदर विधानसभा सीट बीजेपी के विधायक रहे जन्मेजय सिंह के निधन के कारण खाली हुई है। यहां पर सभी प्रमुख दलों ने ब्राह्मण प्रत्याशियों पर दांव खेला है। बीजेपी ने सत्यप्रकाश मणि को टिकट दिया है। एसपी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे ब्रह्माशंकर त्रिपाठी को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। बीएसपी ने यहां से अभयनाथ त्रिपाठी, जबकि कांग्रेस ने मुकुंद भास्कर मणि त्रिपाठी को चुनाव में उतारा है। दिवंगत जन्मेजय के बेटे यहां पर बीजेपी से बगावत करके चुनाव लड़ रहे हैं। वह सियासी समीकरण में कुछ उलटफेर कर सकते हैं।

वहीं बुलंदशहर की सीट बीजेपी विधायक वीरेंद्र सिंह सिरोही के निधन से रिक्त हुई है। बीजेपी ने यहां से सिरोही की पत्नी ऊषा को प्रत्याशी बनाया है। एसपी ने इस सीट पर राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया है। आरएलडी ने प्रवीण सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। जबकि बीएसपी से मोहम्मद युनूस और कांग्रेस से सुशील चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं।

Published: 17 Oct 2020, 4:24 PM IST

अमरोहा की नौगावां सादात सीट पर कैबिनेट मंत्री रहे चेतन चौहान के निधन के कारण चुनाव हो रहा है। इस सीट पर बीजेपी ने दिवंगत मंत्री चेतन चौहान की पत्नी संगीता चौहान को टिकट दिया है। इनका मुकाबला एसपी के सैय्यद जावेद अब्बास, बीएसपी के मोहम्मद फुरकान अहमद और कांग्रेस के कमलेश सिंह से है।

प्रदेश के वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि इस उपचुनाव से साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का रुख पता चलेगा। बीजेपी के सामने अपनी सीटों को बचाने की चुनौती है तो विपक्षी दलों को उससे सीट छीनने की। प्रदेश की राजनीति में ये उपचुनाव एक बड़ी लकीर खीचेंगे।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

Published: 17 Oct 2020, 4:24 PM IST

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Published: 17 Oct 2020, 4:24 PM IST